गरुड पुराण सात्विक वर्ग का एक अनुपम ग्रंथ है। शास्त्रों का वचन है कि गरुड पुराण का वाचन व श्रवण जीवात्मा की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। अतः सभी मनुष्यों, विशेष रूप से हिंदुओं (सनातनी, बौद्ध, जैन और सिखों) को इस शास्त्र में निहित गहन ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। गरुड पुराण का उद्देश्य व्यक्ति का उद्धार , पितरो का तर्पण और जगत हित है।
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गुरु, ग्रंथ व संत के सानिध्य से सनातन धर्म की गूढ़ समझ रखने वाले श्री हीरा बल्लभ जोशी का जन्म एक पुरोहित परिवार में हुआ। सनातन हिन्दू धर्म पर उनकी अनेक पुस्तकें व लेख प्रकाशित हुए हैं, जिन्हें वे ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ पुष्प अर्पण मानते हैं। उनकी अंग्रेजी में प्रकाशित गरुड पुराण पुस्तक लोकप्रिय है। यदि आपको सनातन धर्म, वैदिक दर्शन व भारतीय चिंतन को सरल शब्दों में, उसकी संपूर्णता के साथ समझना है, तो श्री जोशी का लेखन महत्वपूर्ण है। पुरोहिती को सनातन धर्म का स्नायुतंत्र मनाने वाले श्री जोशी लंबे समय से इस वृत्ति में उसकी पवित्रता, ज्ञान, करुणा व कल्याण परंपरा की पुनर्स्थापना एवं इसे समावेशी, सुलभ व सार्थक बनाकर जन-जन तक पहुचने हेतु प्रयासरत हैं। इस पुस्तक का संकलन तथा व्याख्या विषय पर उनकी गहन पकड़ के परिचायक हैं। श्री जोशी का प्रयास है कि मनुष्य सत्मार्ग पर चले और सम्पूर्ण विश्व एक ऐसा राम राज्य बन सके, जहां सभी सुख व आनंद से रहें। गरुड पुराण एक श्रोतव्य शास्त्र है जो मनुष्य को सत्मार्ग में लाकर मोक्ष्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। वर्तमान संस्करण अनेक दृष्टि से अद्वितीय है। श्री जोशी ने इस पुस्तक में महा-गरुडपुराण, गृह्यसूत्र, गीता आदि वैदिक शास्त्रों से सम्मत दृष्टि अपनायी है तथा प्रचलित संस्करण को युगीन बनाकर निखारा है। संस्कृत श्लोकों में शुद्धता व लेखन की मर्यादा का ध्यान रखा गया है। यह पुस्तक सामान्य जन तथा पुरोहित विध्वानों अर्थात सभी के लिए ग्राह्य है। श्री जोशी भारतीय सिविल सेवा के सदस्य हैं और आज एक उच्च पद पर आशीन हैं।