Garuda Purana (गरुड़ पुराण)

250.00

महर्षि कश्‍यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्‍णु का वाहन कहा गया है एक बार गरुड़ ने भगवान विष्‍णु से मृत्‍यु के बाद प्राणियों की स्थिति, जीव की यमलोक-यात्रा विभिन्‍न कर्मों से प्राप्‍त होने वाले नरकों, योनियों तथा पापियों की दुर्गति से संबंधित अनेक गूढ़ एवं रहस्‍ययुक्‍त प्रश्‍न पूछे। उस समय भगवान् विषणु ने गरुड़ की जिज्ञासा शांत करते हुए उन्‍हें लो ज्ञानमय उपदेश दि︎या था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्‍तृत विवेचन किया गया है। सनातन हिन्‍दू धर्म में मृत्‍यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के उत्‍तर खण्‍ड में ‘प्रकल्‍प’ का वर्णन है। इसे सद्गति प्रदान करने वाला कहा गया है। इसके अतिरिक्‍त इस पुराण में श्राद्ध-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा जीवन की गति का विस्‍तृत वर्णन मिलता है।

About the Author

डॉ. विनय दयालसिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। उन्हें भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन था। उनका शोध प्रबंध रामायण और महाभारत पर काफी चर्चित रहा। इसी कारण उन्होंने एक उपन्यासिक शैली में रामायण और महाभारत के अमर पात्रों को पुनर्जीवित कर भारतीय समाज में स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है।

Additional information

Author

Dr. Vinay

ISBN

9789356847514

Pages

48

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356847517

Flipkart

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ISBN 10

9356847517

महर्षि कश्‍यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्‍णु का वाहन कहा गया है एक बार गरुड़ ने भगवान विष्‍णु से मृत्‍यु के बाद प्राणियों की स्थिति, जीव की यमलोक-यात्रा विभिन्‍न कर्मों से प्राप्‍त होने वाले नरकों, योनियों तथा पापियों की दुर्गति से संबंधित अनेक गूढ़ एवं रहस्‍ययुक्‍त प्रश्‍न पूछे। उस समय भगवान् विषणु ने गरुड़ की जिज्ञासा शांत करते हुए उन्‍हें लो ज्ञानमय उपदेश दि︎या था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्‍तृत विवेचन किया गया है। सनातन हिन्‍दू धर्म में मृत्‍यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के उत्‍तर खण्‍ड में ‘प्रकल्‍प’ का वर्णन है। इसे सद्गति प्रदान करने वाला कहा गया है। इसके अतिरिक्‍त इस पुराण में श्राद्ध-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा जीवन की गति का विस्‍तृत वर्णन मिलता है।

About the Author

डॉ. विनय दयालसिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। उन्हें भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन था। उनका शोध प्रबंध रामायण और महाभारत पर काफी चर्चित रहा। इसी कारण उन्होंने एक उपन्यासिक शैली में रामायण और महाभारत के अमर पात्रों को पुनर्जीवित कर भारतीय समाज में स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है।

ISBN10-9356847517

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