Gaye Ganga Aur Gauri Hai Hamari Zimmedari PB Hindi

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गाय, गंगा और गौरी को बचाना यानी अपनी मां को​,​ अपने अस्तित्व को बचाना है। हमने इन तीनों को ​इनके गुणों ​एवं योगदान के आधार पर मां का दर्जा दिया है​। गाय मात्र पशु नहीं है, न ही गंगा मात्र नदी है और न ही गौरी यानी कन्या मात्र कोई बच्ची है। गाय हमारी सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत है, तो गंगा भारत की जीवन रेखा है​ ​और गौरी सृष्टि निर्माता है। तीनों की परिभाषा बहुत विस्तृत है, तीनों का योगदान व महत्त्व जीवन में इतना गहरा व सूक्ष्म है कि इनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
गाय का संबंध मात्र दूध​,​ दही​ ​एवं घी-​मक्खन आदि से ही नहीं है, गाय अपने आप में एक जीता जागता औषधालय है। ऐसे ही गंगा, पानी का ही स्रोत नहीं है हमारी संस्कृति एवं स यता का भी स्रोत है। इसके तटों पर हमारे संस्कार जन्में हैं, तो इसके घाटों पर हमारे त्योहार पनपे हैं। और गौरी (​कन्या)​मां का बीज रूप है। मां का स्थान जीवन में सबसे ऊपर है, ​​यदि हमें परिवार​,​ संस्कार ​और ​संबंधों को बचाना है तो हमें गौरी को बचाना होगा​।
यह पुस्तक न केवल हमें इन तीनों के प्रति संवेदनशील होना सिखाती है ​बल्कि इन तीनों का हमारे जीवन में क्या व कितना महत्त्व और योगदान है वह भी समझाती है। साथ ही इन तीनों को कैसे बचाया जाए, क्या है स बंधित नियम, कानून, व्यवस्थाएं और उपाय? सबके बारे में विस्तृत जानकारी भी देती है।

Additional information

Author

Shashi Kant Sadaiv

ISBN

9789352961832

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9352961838

गाय, गंगा और गौरी को बचाना यानी अपनी मां को​,​ अपने अस्तित्व को बचाना है। हमने इन तीनों को ​इनके गुणों ​एवं योगदान के आधार पर मां का दर्जा दिया है​। गाय मात्र पशु नहीं है, न ही गंगा मात्र नदी है और न ही गौरी यानी कन्या मात्र कोई बच्ची है। गाय हमारी सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत है, तो गंगा भारत की जीवन रेखा है​ ​और गौरी सृष्टि निर्माता है। तीनों की परिभाषा बहुत विस्तृत है, तीनों का योगदान व महत्त्व जीवन में इतना गहरा व सूक्ष्म है कि इनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
गाय का संबंध मात्र दूध​,​ दही​ ​एवं घी-​मक्खन आदि से ही नहीं है, गाय अपने आप में एक जीता जागता औषधालय है। ऐसे ही गंगा, पानी का ही स्रोत नहीं है हमारी संस्कृति एवं स यता का भी स्रोत है। इसके तटों पर हमारे संस्कार जन्में हैं, तो इसके घाटों पर हमारे त्योहार पनपे हैं। और गौरी (​कन्या)​मां का बीज रूप है। मां का स्थान जीवन में सबसे ऊपर है, ​​यदि हमें परिवार​,​ संस्कार ​और ​संबंधों को बचाना है तो हमें गौरी को बचाना होगा​।
यह पुस्तक न केवल हमें इन तीनों के प्रति संवेदनशील होना सिखाती है ​बल्कि इन तीनों का हमारे जीवन में क्या व कितना महत्त्व और योगदान है वह भी समझाती है। साथ ही इन तीनों को कैसे बचाया जाए, क्या है स बंधित नियम, कानून, व्यवस्थाएं और उपाय? सबके बारे में विस्तृत जानकारी भी देती है।

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