वैश्य समाज से आने वाले, श्रेष्ठ कवि काका हाथरसी व घनश्याम अग्रवाल के बाद अनिल अग्रवंशी इस पीढ़ी के श्रेष्ठ हास्य कवि हैं। इनकी कविताओं में बारीकियां सीखने के प्रति हमेशा जिज्ञासु रहता है। नई-नई कविताएं, नए-नए विषय पर, नए प्रतिमानों से कविता लिखने में वह एक माहिर कवि है। उसकी अधिकतर कविताएं मंच की बहुत प्रसिद्ध व श्रेष्ठ हास्य कविताओं में एक विशेष स्थान बना चुकी हैं। उसका हास्य नवीन व सहज होता है। उसकी कविताओं में मौलिकता है, एक लय है। सूर्य भगवान, मोटा पेट, भिखारियों की टोर, पंडित जी की लात, विचित्र पुस्तक, डोगियों की सभा, पुलिस, बच्चों के अंक, मिठाई, बाबा, कवि की शादी व मच्छर आदि शुद्ध हास्य की सुपरहिट रचनाएं हैं।
About the Author
जन्म : 21 अप्रैल, 1968
स्थान : ग्राम कलिंगा, जिला भिवानी (हरियाणा)
शिक्षा : बी.ए. दिल्ली विश्वविद्यालय एवं सीनियर डिप्लोमा गायन व तबला वादन
प्रकाशन : हिन्दी के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में
काव्य पाठ : देश-विदेश के हजारों अखिल भारतीय मंचों, दूरदर्शन व राष्ट्रीय चैनलों पर
काव्य यात्राएँ : दुबई, नेपाल, ओमान
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन
पुरस्कार : हास्य सम्राट शब्द सारथी कवि श्रेष्ठ, अग्र रत्न, अग्र केसरी, व्यापारी साहित्य रत्न आदि
प्रस्तुति : पूर्ण राष्ट्रपति वेंकटरमन, ज्ञानी जैल सिंह, शंकर दयाल शर्मा व अनेकों सम्मानित हस्तियों के समक्ष
विशेष आशीर्वाद : पण्डित रविशंकर, संगीतकार नौशाद, हसरत जयपुरी, संगीतकार रवि तथा देश के प्रतिष्ठित महानुभावों के द्वारा