जीवन-संगीतः 1942-2018 यह बात ध्यान देने की है कि यह बोध मेरे द्वारा किसी उपाय या चेष्टा से नहीं, बल्कि स्वयं उस सत्ता के वात्सल्य मय गुण के कारण, उसी की इच्छा से हो सका है। शायद इसी को सद्गुरू कृपा कहते हैं। (डायरी नं.-21 से साभार).
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जीवन-संगीतः 1942-2018 यह बात ध्यान देने की है कि यह बोध मेरे द्वारा किसी उपाय या चेष्टा से नहीं, बल्कि स्वयं उस सत्ता के वात्सल्य मय गुण के कारण, उसी की इच्छा से हो सका है। शायद इसी को सद्गुरू कृपा कहते हैं। (डायरी नं.-21 से साभार).
ISBN10-9388274903
जीवन-संगीतः 1942-2018 यह बात ध्यान देने की है कि यह बोध मेरे द्वारा किसी उपाय या चेष्टा से नहीं, बल्कि स्वयं उस सत्ता के वात्सल्य मय गुण के कारण, उसी की इच्छा से हो सका है। शायद इसी को सद्गुरू कृपा कहते हैं। (डायरी नं.-21 से साभार).
Author | Swami Chaitanya Vitraag |
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ISBN | 9789388274906 |
Pages | 104 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
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Flipkart | https://www.flipkart.com/hari-anant-katha-ananta/p/itme571e8f430cc2?pid=9789388274906 |
ISBN 10 | 9388274903 |