Hari Anant Hari Katha Ananta – Bhaag -7 (हरि अनंत हरि कथा अनंता – भाग-7)

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मैं यह सब सुनाते समय अपने सद्गुरू भगवान श्री रजनीश जी को कैसे भूल सकता हूँ उन्हीं की कृपा से और अनुमति से तो यह घटना घटी है- यह सौ प्रतिशत निश्चित सत्य है। गुरू ही अपने शिष्य के योगक्षेम का एकमात्र कर्त्ता होते है। उनकी यह अपार कृपा है मुझ पर जिसके प्रमाण स्वरूप जगज्जननी माँ के चरणों में विश्रांति प्राप्त करना हुआ है। मैं माँ और भगवान में कोई भेद देखता ही नहीं। माँ ही भगवान है और भगवान ही माँ है।

Additional information

Author

Swami Chaitanya Vitraag

ISBN

9789359203676

Pages

132

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

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ISBN 10

935920367X

मैं यह सब सुनाते समय अपने सद्गुरू भगवान श्री रजनीश जी को कैसे भूल सकता हूँ उन्हीं की कृपा से और अनुमति से तो यह घटना घटी है- यह सौ प्रतिशत निश्चित सत्य है। गुरू ही अपने शिष्य के योगक्षेम का एकमात्र कर्त्ता होते है। उनकी यह अपार कृपा है मुझ पर जिसके प्रमाण स्वरूप जगज्जननी माँ के चरणों में विश्रांति प्राप्त करना हुआ है। मैं माँ और भगवान में कोई भेद देखता ही नहीं। माँ ही भगवान है और भगवान ही माँ है।

ISBN10-935920367X