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मेरा हिन्दी साहित्य से जुड़ाव, दिल्ली में ‘हिन्दी बुक सेन्टर’ की स्थापना के कारण सम्भव हुआ और एक कॉमर्स का विद्यार्थी हिन्दी साहित्य का प्रेमी बन गया। हिन्दी साहित्य का पहला सफर ‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’ नागपुर शुरु हुआ और फिर मॉरिशस से होता हुआ, हर उस जगह पहुंचा जहाँ से हिन्दी का प्रचार-प्रसार होता था । मुझे ऐसी जगहों पर जाना अच्छा लगने लगा जहां हिन्दी साहित्य की चर्चा की जाती थी। यहीं से मेरा हिन्दी के प्रति गहरा अनुराग पैदा हुआ और धीरे-धीरे हिन्दी में लोकप्रिय साहित्य का प्रकाशन किया, इसके बाद हिन्दी लेखकों की महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित की ताकि भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी को गौरव मिले।
इस संग्रह में प्रकाशित कहानियों का संकलन, हिन्दी पाठकों को पसन्द आएगा, मेरा विश्वास है।
Author | Narendra Kumar Verma |
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ISBN | 9789356844643 |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Gujarati |
Publisher | Junior Diamond |
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ISBN 10 | 935684464X |
मेरा हिन्दी साहित्य से जुड़ाव, दिल्ली में ‘हिन्दी बुक सेन्टर’ की स्थापना के कारण सम्भव हुआ और एक कॉमर्स का विद्यार्थी हिन्दी साहित्य का प्रेमी बन गया। हिन्दी साहित्य का पहला सफर ‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’ नागपुर शुरु हुआ और फिर मॉरिशस से होता हुआ, हर उस जगह पहुंचा जहाँ से हिन्दी का प्रचार-प्रसार होता था । मुझे ऐसी जगहों पर जाना अच्छा लगने लगा जहां हिन्दी साहित्य की चर्चा की जाती थी। यहीं से मेरा हिन्दी के प्रति गहरा अनुराग पैदा हुआ और धीरे-धीरे हिन्दी में लोकप्रिय साहित्य का प्रकाशन किया, इसके बाद हिन्दी लेखकों की महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित की ताकि भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी को गौरव मिले।
इस संग्रह में प्रकाशित कहानियों का संकलन, हिन्दी पाठकों को पसन्द आएगा, मेरा विश्वास है।
ISBN10-935684464X
Diamond Books, Business and Management, Economics