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Jaat-Paant Ka Vinash (जात-पांत का विनाश) Hindi Translation Of Annihilation Of Caste By Dr. Bhimrao Ambedkar-1
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Jaat-Paant Ka Vinash (जात-पांत का विनाश) Hindi Translation Of Annihilation Of Caste By Dr. Bhimrao Ambedkar-2

Jaat-Paant Ka Vinash (जात-पांत का विनाश) Hindi Translation Of Annihilation Of Caste By Dr. Bhimrao Ambedkar in paperback

Original price was: ₹175.00.Current price is: ₹174.00.

किताब के बारे में

जात-पांत का विनाश पुस्तक, डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें उन्होंने जाति व्यवस्था के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
पुस्तक में, अम्बेडकर जाति व्यवस्था को मानवता के खिलाफ अपराध मानते हैं। वे तर्क देते हैं कि यह व्यवस्था असमानता, अन्याय और अत्याचार पर आधारित है, जिसके कारण समाज में विभाजन और संघर्ष पैदा होता है।
वे जाति व्यवस्था की जड़ों का पता प्राचीन हिंदू ग्रंथों में ढूंढते हैं और वेदों, उपनिषदों और मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में उल्लिखित जातिगत वर्गीकरण और भेदभाव की आलोचना करते हैं।
अम्बेडकर जाति व्यवस्था के विनाश के लिए शिक्षा, कानून और सामाजिक सुधारों के माध्यम से क्रांतिकारी बदलाव की वकालत करते हैं। वे सामाजिक समानता और न्याय के लिए एक समतावादी समाज का निर्माण करना चाहते हैं, जिसमें सभी व्यक्तियों को उनकी जाति या जन्म की परवाह किए बिना समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। पुस्तक के कुछ प्रमुख बिंदु:
जाति व्यवस्था की उत्पत्ति और विकास
जाति व्यवस्था के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव जाति व्यवस्था के खिलाफ अंबेडकर के तर्क
जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए अंबेडकर के सुझाव
जाति-पांति पुस्तक उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण रचना है जो जाति व्यवस्था और उसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को समझना चाहते हैं। यह पुस्तक सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करने वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

लेखक के बारे में

डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता माना जाता है। वे एक महान विद्वान, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। दलित समुदाय से आने के बावजूद उन्होंने अथक प्रयासों से उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में दलितों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन :*14 अप्रैल, 1891. आंबेडकर नगर, जिसका भूतपूर्व नाम महूँ था, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित एक नगर है। यहाँ डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था और यह एक ऐतिहासिक छावनी भी है।
*शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा और करियर :*उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी गए और अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
*भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत ।
*भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान :*भारत के स्वतंत्रता के बाद डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
*उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और इसमें सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान शामिल किए।
*भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा और विस्तृत संविधान माना जाता ।
सामाजिक सुधार :*डॉ. आंबेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत की।
*उन्होंने छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों को शिक्षा और रोजगार के वसर उपलब्ध कराने के लिए काम किया।
*उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और दलितों को बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित किया।
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह सिर्फ एक संक्षिप्त परिचय है। आंबेडकर के जीवन और कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए आप उनकी जीवनी पढ़ सकते हैं या उनके बारे में खे गए लेख पढ़ सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :*डॉ. आंबेडकर ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द अनटचेबल्स’, ‘राइडू’ और ‘बुद्ध और उसका धर्म’ शामिल हैं।
*उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संपादन किया।
*वे एक कुशल वक्ता थे और उन्होंने कई सार्वजनिक भाषण दिए
*आंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है
*आंबेडकर ने कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, नमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स शामिल हैं।
*डॉ. आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
*उन्हें भारत का संविधान निर्माता माना जाता है।
*उनके विचारों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया है।
*आज भी दलित समुदाय के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं।

जात-पांत का विनाश पुस्तक किसने लिखी है?

यह पुस्तक डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखी गई है।

जात-पांत का विनाश पुस्तक का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसका मुख्य उद्देश्य जाति प्रथा के दुष्प्रभावों को उजागर करना और समाज में समानता स्थापित करने की आवश्यकता को समझाना है।

जात-पांत का विनाश की अवधारणा से डॉ अंबेडकर का क्या मतलब है?

जाति का विनाश ने एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन का आह्वान किया, जिसमें न केवल प्रत्यक्ष भेदभाव को चुनौती दी गई, बल्कि गहराई से जड़ें जमाए हुए सांस्कृतिक दृष्टिकोण और प्रथाओं को भी चुनौती दी गई ।

जात-पांत का विनाश पुस्तक का केंद्रीय विचार क्या है?

अंबेडकर का मुख्य तर्क हिंदू समाज में नैतिकता, सदाचार और सार्वजनिक भावना पर जाति के हानिकारक प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमता है। वह श्रम विभाजन, रक्त की शुद्धता और ऐतिहासिक वैधता के आधार पर जाति के पारंपरिक बचाव को खारिज करते हैं।

जातिवाद क्या है इसके कारणों एवं दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए?

जातिवाद समाज में एक गहरी विभाजन और असमानता पैदा करने वाला विचारधारा है, जो लोगों को उनके जन्म, जाति, या सामाजिक वर्ग के आधार पर नीचा या ऊंचा मानती है। इसका दुष्परिणाम बहुत गंभीर और दूरगामी हो सकता है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति को भी प्रभावित करता है।

Additional information

Weight 0.110 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1 cm
Author

Dr. B. R. Ambedkar

Pages

118

Format

Ppaerback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Jaat-Paant Ka Vinash (जात-पांत का विनाश) Hindi Translation Of Annihilation Of Caste By Dr. Bhimrao Ambedkar-1

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