Call us on: +91-9716244500

Free shipping On all orders above Rs 600/-

We are available 10am-5 pm, Need help? contact us

Jab Raha Na Koi Chara (जब रहा न कोई चारा)

150.00

जब रहा न कोई चारा रे,
अंगूरी बनी अंगारा रे।
अंगारा रे अंगारा रे।
सपनों को कुचलने आए, हाए रब्बा कौन बचाए?
अपनों ने मिलकर मारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
पर ही मजबूत इरादा, हट जाती हैं सब बाधा।
बस हिम्मत एक सहारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
ISBN10-8171829600

150.00

In stock

जब रहा न कोई चारा रे,
अंगूरी बनी अंगारा रे।
अंगारा रे अंगारा रे।
सपनों को कुचलने आए, हाए रब्बा कौन बचाए?
अपनों ने मिलकर मारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
पर ही मजबूत इरादा, हट जाती हैं सब बाधा।
बस हिम्मत एक सहारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।

Additional information

Author

Ashok Chakradhar

ISBN

8171829600

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171829600

SKU 9788171829606 Categories ,