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Jal Hi Jeevan Hai – (जल ही जीवन है)

175.00

जल अमृत तुल्य ही नहीं; बल्कि अमृत से भी कहीं अधिक मूल्यवान सभी प्राणियों के लिए है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। जहां जल है, वहीं पर प्रकृति और उसका सुंदर नजारा है। आज पूरा विश्व पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। शहरीकरण और आधुनिकीकरण की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने के कारण ही धरती का जल स्तर दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है। वायु प्रदूषण और जगह-जगह पर कचरा जमा होने के कारण धरातल भी प्रदूषित हो गया है, जिसमें भू-जल में नाना प्रकार के विजातीय तत्व उत्पन्न हो गए हैं, जिन्होंने पानी को विषैला बना दिया है। देश के अनेक भागों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है, जिससे वहां के लोग पेट संबंधी अनेक रोगों से पीड़ित हैं। दूषित पानी का सेवन करने की वजह से ही टाइफाइड की शिकायत होती है। जल को इसलिए भी जीवन माना गया है क्योंकि जहां स्वच्छ जल नहीं है, वहां स्वस्थ जीवन की कल्पना करना ही मूर्खता है। प्रस्तुत पुस्तक जल के महत्त्व का उल्लेख करती हुई जल की बचत और सक के बारे में भी शिक्षित करती है।.

About the Author

वंदना वर्मा गृहलक्ष्मी की सम्पादक और टिंगालैंड (बच्चों का मनोरंजन केन्द्र) की संस्थापक हैं। वे प्रगतिशील विचारों वाली लेखिका हैं। लेखिका स्पर्श (N.G.O.) के द्वारा लड़कियों को पढ़ाने की ओर प्रेरित करने का अभियान पिछले 12 वर्षों से चला रही हैं। उनका मानना है कि बेटी को शिक्षित करने और आने वाली पीढ़ी में शिक्षा के अंकुर बोने से सामाजिक कुरीतियों को दूर किया जा सकता है। ‘जल ही जीवन है’ उनकी दूसरी कृति है। उनकी पहली कृति ‘बिटिया को शिक्षा धन दीजो’ प्रकाशित हो चुकी है।.

ISBN10-938827489X

175.00

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जल अमृत तुल्य ही नहीं; बल्कि अमृत से भी कहीं अधिक मूल्यवान सभी प्राणियों के लिए है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। जहां जल है, वहीं पर प्रकृति और उसका सुंदर नजारा है। आज पूरा विश्व पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। शहरीकरण और आधुनिकीकरण की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने के कारण ही धरती का जल स्तर दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है। वायु प्रदूषण और जगह-जगह पर कचरा जमा होने के कारण धरातल भी प्रदूषित हो गया है, जिसमें भू-जल में नाना प्रकार के विजातीय तत्व उत्पन्न हो गए हैं, जिन्होंने पानी को विषैला बना दिया है। देश के अनेक भागों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है, जिससे वहां के लोग पेट संबंधी अनेक रोगों से पीड़ित हैं। दूषित पानी का सेवन करने की वजह से ही टाइफाइड की शिकायत होती है। जल को इसलिए भी जीवन माना गया है क्योंकि जहां स्वच्छ जल नहीं है, वहां स्वस्थ जीवन की कल्पना करना ही मूर्खता है। प्रस्तुत पुस्तक जल के महत्त्व का उल्लेख करती हुई जल की बचत और सक के बारे में भी शिक्षित करती है।.

About the Author

वंदना वर्मा गृहलक्ष्मी की सम्पादक और टिंगालैंड (बच्चों का मनोरंजन केन्द्र) की संस्थापक हैं। वे प्रगतिशील विचारों वाली लेखिका हैं। लेखिका स्पर्श (N.G.O.) के द्वारा लड़कियों को पढ़ाने की ओर प्रेरित करने का अभियान पिछले 12 वर्षों से चला रही हैं। उनका मानना है कि बेटी को शिक्षित करने और आने वाली पीढ़ी में शिक्षा के अंकुर बोने से सामाजिक कुरीतियों को दूर किया जा सकता है। ‘जल ही जीवन है’ उनकी दूसरी कृति है। उनकी पहली कृति ‘बिटिया को शिक्षा धन दीजो’ प्रकाशित हो चुकी है।.

Additional information

Author

Vandana Verma

ISBN

9789388274890

Pages

32

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/938827489X?ref=myi_title_dp

Flipkart

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ISBN 10

938827489X

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