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Janpath Se (Vaicharik Sansmaran) : जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) - Hindi Novel-0
Janpath Se (Vaicharik Sansmaran) : जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) - Hindi Novel-0
Janpath Se (Vaicharik Sansmaran) : जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) - Hindi Novel-0

Janpath Se (Vaicharik Sansmaran) : जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) – Hindi Novel-In Paperback

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किताब के बारे में

जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) -: बूंद का महत्व यदि हम आत्मसात कर लें तो सागर भी हमारे लिए दुर्लभ नहीं रहेगा। व्यक्ति स्वयं बदले तो समग्र समाज भी स्वतः बदल जाएगा। क्रांति एवं परिवर्तन की आवश्यकता आज बाहर से उतनी नहीं, जितनी स्वयं हमारे भीतर से है।वर्तमान स्थितियों एवं परिस्थितियों पर साहित्य तथा समाज के सवालों को यत्र-तत्र कुरेदने का प्रयास किया है। कुछ आत्मीय संस्मरणों को भी छुआ और छेड़ा है। लगभग तीन साल तक ‘धर्मयुग’ में ‘जनपथ’ शीर्षक से एक स्तम्भ लिखता रहा, उसी से चुने हुए कुछ अंश प्रस्तुत हैं यहां!यदि आपको ये कहीं कुछ सोचने के लिए विवश करें, कहीं किंचित छुएं तो समझेंगा कि यह सारा प्रयास सार्थक रहा।- हिमांशु जोशी

लेखक के बारे में

नाम :- हिमांशु जोशी जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड। कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि। प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत। स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।

जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) पुस्तक किस प्रकार की रचना है?

ह एक वैचारिक संस्मरण है, जिसमें सामाजिक, साहित्यिक और व्यक्तिगत अनुभवों को दर्शाया गया है।

जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) इस पुस्तक का मुख्य संदेश क्या है?

आत्म-परिवर्तन की आवश्यकता पर बल देते हुए, लेखक मानते हैं कि यदि व्यक्ति स्वयं बदलेगा, तो समाज भी स्वतः बदल जाएगा।

जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) पुस्तक का नाम क्यों रखा गया है?

यह नाम लेखक के ‘धर्मयुग’ पत्रिका में प्रकाशित स्तम्भ ‘जनपथ’ से लिया गया है, जिसमें उन्होंने समाज और साहित्य से जुड़े विचार प्रस्तुत किए।

जनपथ से (वैचारिक संस्मरण) पुस्तक में कौन-कौन से विषयों पर विचार किया गया है?

सामाजिक परिवर्तन, आत्मचिंतन, साहित्यिक विमर्श, और लेखक के आत्मीय संस्मरण।

इस पुस्तक के लेखक कौन हैं? और उनकी प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं?

हिमांशु जोशी, जो हिंदी साहित्य के यशस्वी कथाकार और उपन्यासकार थे।
➤ प्रमुख कहानियाँ: अंततः, तीसरा किनारा, अंतिम सत्य
➤ उपन्यास: अरण्य, महासागर, कगार की आग, समय साक्षी है
➤ वैचारिक रचनाएँ: उत्तर पर्व, आठवां सर्ग

Additional information

Weight 0.225 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.5 cm
Author

Himanshu Joshi

Pages

152

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9369391517

SKU 9789369391516 Categories , Tags ,