Call us on: +91-9716244500

Free shipping On all orders above Rs 600/-

We are available 10am-5 pm, Need help? contact us

Jeena Isi Ka Naam Hai

295.00

Jeena Isi Ka Naam Hai

Additional information

Author

Dr Narendar P. Jain

ISBN

9789351656265

Pages

392

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Magazines

ISBN 10

9351656268

कहां कूटनीति के दांवपेंच, दुराव, छिपाव और अलगाव, कहां अंतरतम के गूढ़तम भावों को प्रकट करने की काव्य कला। कहां विदेश सेवा की सजावट, बनावट और दिखावट, कहां नरेन्द्र जैन का निश्चल, निष्कपट और निर्व्याज मन। विदेश सेवा ने उनकी अनुभूति को विविधता और वैश्विक विस्तार दिया है। विदेश सेवा के इस उदीयमान कवि—साहित्यकार राजनयिक के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।

—पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी

प्रस्तावना—लेखक की पुस्तक ट्टउन्मुक्त गगन’ में
नेपाल की पृष्ठभूमि में लिखे राजदूत जैन के काव्य—संग्रह में प्रतिबिम्बित है नेपाल के प्रति भारत की परम्परागत मैत्री, सौहार्द्र, सहयोग और स्नेह की भावना। उसमें पर्वतराज हिमालय की और उससे सतत प्रवाहित नदियों की गौरव—गाथा है। वस्तुतः पुस्तक नेपाल—भारत मैत्री में एक साहित्यिक योगदान है।

—पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी. नरसिंहराव

(ट्टएक अनूठा उपवन’ की प्रस्तावना में)
सफल राजनयिक, देश और दुनिया में भारतीय संस्कृति और जैन दर्शन के प्रखर प्रवक्ता साहित्यकार, कवि, ओजस्वी वक्ता एवं समाज सेवा युक्त विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व के धनी डॉ. नरेन्द्र जैन को ट्टजैन गौरव अलंकरण’ से सम्मानित कर भारत का जैन समाज गौरवान्वित है और मैं अति हर्षित।

—पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भ्ौरोसिंह शेखावत

Dr. N.P. Jain’s presentations at The Parliament of World Religions in Chicago (1993) and Cape Town (1999), as well as his invaluable inputs in the drafting of Declaration on Global Ethics have been highly noteworthy contributions.

–Dr. Jim Kenney,

Secretary General Parliament of World Religions
My gratitude to Ambassador Jain for all the love and care he gave me when I was in Kathmandu.

–Mother Teressa

Mexican Academy of International Law and Diplomacy feels honoured to confer on Ambassador Dr. N.P. Jain the privileged status of Permanent Academician in recognition of his sterling intellectual perceptions. ISBN10-9351656268

SKU 9789351656265 Categories ,