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ओशो की एक अद्भुत पुस्तक है जो जीवन के गहरे रहस्यों और आध्यात्मिक जागरूकता की ओर मार्गदर्शन करती है। ओशो के अनूठे दृष्टिकोण और शिक्षाओं के माध्यम से, यह पुस्तक आत्मिक शांति और जीवन के गहरे अर्थों को समझने में सहायक सिद्ध होती है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में आध्यात्मिक संतुलन और आत्म-साक्षात्कार की खोज में है।
ओशो (1931–1990), जिनका जन्म नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था, एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और मिस्टिक थे, जो पूर्व और पश्चिम की अद्वितीय विचारधाराओं के संयोजन के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने ध्यान, आत्म-जागरूकता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर दिया, और पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं को चुनौती दी। ओशो ने “ज़ोरबा द बुद्धा” की अवधारणा पेश की, जो भौतिक सुखों और आध्यात्मिक जागरण के बीच संतुलन को प्रोत्साहित करती है। उनके अनुयायी दुनिया भर में फैले, और 1980 के दशक में उन्होंने अमेरिका के ओरेगन में एक कम्यून की स्थापना की, जो विवादास्पद बन गया। निर्वासित होने के बाद, वे भारत लौटे और अपनी शिक्षाओं को जारी रखा। उनकी विरासत आज भी उनकी कई पुस्तकों, प्रवचनों, और ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट के माध्यम से जीवित है।
जीवन अमृतu0022 ओशो द्वारा लिखित एक पुस्तक है, जो जीवन के रहस्यों और आत्मिक जागरूकता पर आधारित है। यह पाठकों को गहरी समझ और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है
ओशो ने इस पुस्तक में आत्मिक शांति, ध्यान, और जीवन के गहरे अर्थों की चर्चा की है, जिससे व्यक्ति जीवन में संतुलन और शांति पा सके।
यह पुस्तक आत्म-साक्षात्कार और जीवन के मूलभूत तत्वों को समझने में सहायता करती है, जो मानसिक शांति और संतुलन की ओर मार्गदर्शन करती है।
यह पुस्तक जीवन के गहरे रहस्यों को समझने में मदद करती है और आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध बनाती है
ओशो, जिनका जन्म नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था, एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और मिस्टिक थे, जिन्होंने ध्यान, आत्म-जागरूकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर दिया। उन्होंने पूर्व और पश्चिम की विचारधाराओं का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया।
Weight | 410 g |
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Dimensions | 21.6 × 14 × 1.91 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8171825710 |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171825710 |
खुद अपना उदाहरण देकर ओशो ने एक आज़ादी हमारे दिलों-दिमागों को दी है। एक पूरे दौर को उन्होंने मुक्ति दे दी है। इस मरी हुई दुनिया में जान डाल दी है, इसकी नसों में प्यार बहाकर। मैं तो बार-बार यही कहता हूं कि हमें धन्यवाद देना चाहिए इस आदमी का जो यह अनमोल पूंजी युगों-युगों के बच्चों के लिए छोड़ गया है।”
— डॉ. मुल्कराज आनंद
ISBN10-8171825710 ISBN10-8171825710
Business and Management, Religions & Philosophy