Jungnama (जंगनामा)

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मिटा के ख़ुद को मयस्सर ख़ुदी का जाम तो है तेरी निगाह में मेरा कोई मक़ाम तो है ख़ुदी को इश्क़ पे कुर्बान नहीं कर सकता मेरा न हो मेरे जज़्बों को एहतराम तो है
हमने जब चाहा बदल कर रख दिया तक़दीर को मौज को साहिल को हर क़तरे को दरिया कर दिया
कर रहा बरबादियों के मश्वरे था आसमाँ झुक गया जब हमने इज़हारे तमन्ना कर दिया
है अक्से फितरत ख़ाकी यह गर्दिशे दौरां कभी रहा अंधेरा, कभी उजाला है।
कर सको तुम न अगर अज़मते इन्सां को क़बूल बन्द काबे को करो, तोड़ दो ख़ानों
चमन-चमन है ख़िरामां कि फिर बहार आई सबा है मुश्क बदामां कि फिर बहार आई

Additional information

Author

D.N. Malik Urf Raj Sarhadi and Sudhir Malik

ISBN

9789356844469

Pages

258

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Toons

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https://www.amazon.in/dp/9356844461

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ISBN 10

9356844461

मिटा के ख़ुद को मयस्सर ख़ुदी का जाम तो है तेरी निगाह में मेरा कोई मक़ाम तो है ख़ुदी को इश्क़ पे कुर्बान नहीं कर सकता मेरा न हो मेरे जज़्बों को एहतराम तो है
हमने जब चाहा बदल कर रख दिया तक़दीर को मौज को साहिल को हर क़तरे को दरिया कर दिया
कर रहा बरबादियों के मश्वरे था आसमाँ झुक गया जब हमने इज़हारे तमन्ना कर दिया
है अक्से फितरत ख़ाकी यह गर्दिशे दौरां कभी रहा अंधेरा, कभी उजाला है।
कर सको तुम न अगर अज़मते इन्सां को क़बूल बन्द काबे को करो, तोड़ दो ख़ानों
चमन-चमन है ख़िरामां कि फिर बहार आई सबा है मुश्क बदामां कि फिर बहार आई