मिटा के ख़ुद को मयस्सर ख़ुदी का जाम तो है तेरी निगाह में मेरा कोई मक़ाम तो है ख़ुदी को इश्क़ पे कुर्बान नहीं कर सकता मेरा न हो मेरे जज़्बों को एहतराम तो है
हमने जब चाहा बदल कर रख दिया तक़दीर को मौज को साहिल को हर क़तरे को दरिया कर दिया
कर रहा बरबादियों के मश्वरे था आसमाँ झुक गया जब हमने इज़हारे तमन्ना कर दिया
है अक्से फितरत ख़ाकी यह गर्दिशे दौरां कभी रहा अंधेरा, कभी उजाला है।
कर सको तुम न अगर अज़मते इन्सां को क़बूल बन्द काबे को करो, तोड़ दो ख़ानों
चमन-चमन है ख़िरामां कि फिर बहार आई सबा है मुश्क बदामां कि फिर बहार आई
Jungnama (जंगनामा)
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मिटा के ख़ुद को मयस्सर ख़ुदी का जाम तो है तेरी निगाह में मेरा कोई मक़ाम तो है ख़ुदी को इश्क़ पे कुर्बान नहीं कर सकता मेरा न हो मेरे जज़्बों को एहतराम तो है
हमने जब चाहा बदल कर रख दिया तक़दीर को मौज को साहिल को हर क़तरे को दरिया कर दिया
कर रहा बरबादियों के मश्वरे था आसमाँ झुक गया जब हमने इज़हारे तमन्ना कर दिया
है अक्से फितरत ख़ाकी यह गर्दिशे दौरां कभी रहा अंधेरा, कभी उजाला है।
कर सको तुम न अगर अज़मते इन्सां को क़बूल बन्द काबे को करो, तोड़ दो ख़ानों
चमन-चमन है ख़िरामां कि फिर बहार आई सबा है मुश्क बदामां कि फिर बहार आई
Additional information
Author | D.N. Malik Urf Raj Sarhadi and Sudhir Malik |
---|---|
ISBN | 9789356844469 |
Pages | 258 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Toons |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/jungnama/p/itm582bb460126b7?pid=9789356844469 |
ISBN 10 | 9356844461 |
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