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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया ओशो द्वारा रचित एक अनमोल पुस्तक है, जो संत कबीर के भजनों के माध्यम से आत्म-जागृति और आध्यात्मिक सच्चाई की खोज पर केंद्रित है। ओशो ने इस पुस्तक में कबीर के गहरे और अर्थपूर्ण भजनों की व्याख्या की है, जो ध्यान और आत्मिक जागरूकता के मार्ग को स्पष्ट करते हैं।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
यह संत कबीर का एक प्रसिद्ध भजन है, जिसका अर्थ है कि जीवन को शुद्ध और सच्चा बनाए रखना, जैसे एक साफ चादर को बिना गंदे किए वापिस करना।
ओशो ने कबीर के भजनों की गहन व्याख्या की है, जिससे आत्म-जागृति और जीवन की सच्चाई को समझने में मदद मिलती है।
हां, ओशो ने कबीर के भजनों के माध्यम से आत्म-जागृति और ध्यान की महत्वपूर्णता को समझाया है, जो आत्मा की शुद्धता की ओर ले जाते हैं।
ओशो ने कबीर के भजनों में आत्मा की शुद्धता, ध्यान, और जीवन के सत्य की खोज को उजागर किया है, जो हमें अपने भीतर की गहराइयों से जोड़ते हैं।
इसका मुख्य संदेश यह है कि जीवन को उसी सच्चाई और शुद्धता के साथ जीना चाहिए, जैसा हमें जन्म के समय प्राप्त होता है, यानी कि इसे बिना गंदे किए वापिस करना।
इस पुस्तक को पढ़ने से कबीर के भजनों के गहरे अर्थ को समझने, आत्म-जागृति की ओर प्रेरित होने, और ध्यान के माध्यम से आत्मिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
Weight | 380 g |
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Dimensions | 20.32 × 12.7 × 1.27 cm |
Author | Osho |
ISBN | 812880314X |
Pages | 330 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 812880314X |
अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। अहिंसा-वहह परिणाम है. हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह-वहह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य-वहह परिणाम है, चौर्य, चोरी स्थिति है। अकाम–वह परिणाम है, काम, वासना, कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है–अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण। प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बी में हो रही हो। तो बस, आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:अहिंसा अपरिग्रह अचौर्य अकाम अप्रमाद ब्रह्मचर्य सावधिक संन्यासः नये संन्यास की धारण तंत्रः काम-ऊर्जा के रूपांतरण का विज्ञान.
ISBN10-9390088615
Business and Management, Religions & Philosophy
Hinduism, Books, Diamond Books
Diamond Books, Books, Business and Management, Economics