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Kagar Ki Aag Aur Su-Raj Natak (कगार की आग और सु-राज नाटक)

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‘सुराज’ जब पढ़ना शुरू किया तो जी खुश हो गया। तीनों ही नवलिकाएं (जो मिलकर एक ही बृहत्तर कथा है) बहुत अच्छी लगीं। खूब सधा हुआ लेखन है। सारा परिवेश उस अंचल का आंखों के आगे खिंच जाता है और जी दहल उठता है- क्या यही आज का हमारा पहाड़ है, जहां कुछ ही बरस पहले तक कोई अपराध का नाम भी नहीं जानता था। लोग घरों में ताला तक नहीं लगाते थे, हत्या, बलात्कार की तो बात ही अलग है। यह तो एक भयानक देश है, जिसकी तसवीर आपने खींची है और बड़ी महीन रेखाओं में खींची है। मेरी हार्दिक बधाई लें।
– अमृतराय प्रसिद्ध कथाकार, साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त

About the Author

नाम :- हिमांशु जोशी
जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड।
कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि।
प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत।
स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।

ISBN10-9359645591

‘सुराज’ जब पढ़ना शुरू किया तो जी खुश हो गया। तीनों ही नवलिकाएं (जो मिलकर एक ही बृहत्तर कथा है) बहुत अच्छी लगीं। खूब सधा हुआ लेखन है। सारा परिवेश उस अंचल का आंखों के आगे खिंच जाता है और जी दहल उठता है- क्या यही आज का हमारा पहाड़ है, जहां कुछ ही बरस पहले तक कोई अपराध का नाम भी नहीं जानता था। लोग घरों में ताला तक नहीं लगाते थे, हत्या, बलात्कार की तो बात ही अलग है। यह तो एक भयानक देश है, जिसकी तसवीर आपने खींची है और बड़ी महीन रेखाओं में खींची है। मेरी हार्दिक बधाई लें।
– अमृतराय प्रसिद्ध कथाकार, साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त

About the Author

नाम :- हिमांशु जोशी
जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड।
कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि।
प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत।
स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।

Additional information

Author

Himanshu Joshi

ISBN

9789359645599

Pages

168

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9359645591

Flipkart

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ISBN 10

9359645591

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