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काका के चौपाल-0

Kaka Ki Chaupal (काका के चौपाल)

Original price was: ₹75.00.Current price is: ₹74.00.

पुस्तक के बारे में

काका के चौपाल एक अद्भुत पुस्तक है जो समाज और उसकी सच्चाइयों को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से पेश करती है। इस पुस्तक की कहानियां न केवल आपको हंसाएंगी बल्कि गहराई से सोचने पर भी मजबूर करेंगी। यह हर उम्र के पाठकों के लिए एक अनमोल खजाना है।

काका के चौपाल की कहानियां क्या खास बनाती हैं?

कहानियों की सरल भाषा और व्यंग्यात्मक शैली पाठकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है।

काका क्यों प्रसिद्ध है?

काका अपने हास्य और व्यंग्य से भरपूर लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके लेख समाज की सच्चाइयों को मज़ाकिया और व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत करते हैं, जो पाठकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर मजबूर करते हैं।

चौपाल का क्या अर्थ है?

चौपाल गांवों में वह स्थान होता है जहां लोग सामूहिक रूप से बैठकर चर्चा करते हैं, समस्याओं का समाधान खोजते हैं और आपस में विचार साझा करते हैं। यह सामाजिक मेलजोल और संवाद का प्रतीक है।

चौपाल व्यवस्था क्या है?

चौपाल व्यवस्था भारतीय ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा है, जहां गांव के लोग किसी खुले स्थान पर सामूहिक रूप से बैठकर चर्चा और निर्णय लेते हैं। यह सामाजिक मुद्दों को सुलझाने, परंपराओं को बनाए रखने और सामुदायिक जीवन को मजबूत बनाने का एक माध्यम है।

चौपाल किस लिए प्रसिद्ध है?

चौपाल सामूहिक चर्चा, सामाजिक मेलजोल, और ग्रामीण समस्याओं के समाधान के लिए प्रसिद्ध है। यह गांवों में एक ऐसा स्थान है, जहां परंपरागत तरीके से लोग एकत्र होकर विचार-विमर्श करते हैं और सामुदायिक निर्णय लेते हैं।

Additional information

Weight 450 g
Dimensions 20.3 × 25.4 × 4.7 cm
Author

Kaka Hathrasi

ISBN

8171827543

Pages

144

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171827543

काका हाथरसी ने अपने जीवनकाल में हास्‍यरस को भरपूर जिया और काका हास्‍यरस आपस में इतने घुलमिल गए हैं कि हास्‍यरस कहते ही उनका चित्र सामने आ आता है। उन्‍होंने कवि सम्‍मेलनों, गोष्ठियों, रेडियो और टी.वी. के माध्‍यम से हास्‍य-‍कविता और साथ ही हिंदी के प्रसार में अविस्‍मरणीय योगदान दिया। उन्‍होंने साधारण जनता के लिए सीधी और सरल भाषा में ऐसी रचनाएं लिखीं, जिन्‍होंने देश और विदेश में बसे हुए करोड़ों हिन्‍दी-प्रेमियों के हृदय का छुआ।
‘काका की चौपाल’ एक नए ढंग की पुस्‍तक है, जिसमें गोष्ठियां सम्मिलित हैं। इन गोष्ठियों में श्रोताओं द्वारा समाज, राजनीति कला, धर्म संस्‍कृति और जीवन के अनेक पहलुओं पर पूछे गए प्रश्‍नों के उत्‍तर कविता के रूप में दिए गए है।

ISBN10-8171827543

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