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पहले दोस्ती होती थी किताबों से, सिर्फ किताब को पढ़ा ही नहीं जाता था, सपने बुनते थे साथ में हर एक किताब के ।
किताबें हमारे जीवन के खजाने का एक अनमोल हिस्सा हैं। आज कल घर की दराज़ से गायब होती जा रहीं हैं किताबें । दर्द हो जाता है उँगलियों में, मोबाइल पर स्क्रॉल करते करते, कंप्यूटर पर क्लिक से की गई क्लिक से किताब खुल जाती है, हम पढ़ भी लेते हैं, लेकिन अपने उस अनमोल दोस्त, किताब से दोस्ती नहीं हो पाती। कोशिश है कि ये किताब आप लोगों की दोस्त बन जाये। ईयू. प्रवासी साहित्य संघ (ईयू.पी.एस.एस) के ३० रचनाकारों ने अपनी भावनाओं को इस पुस्तक में प्राण दिये हैं, अपनी अपनी कविताओं के माध्यम से। ये कविताएँ कभी आपको हंसायेंगी, कभी रूलायेंगी, कभी बचपन से मिलवायेंगी, कभी पुरानी यादों से बतियायेंगी। कभी लगेगा आपको कि आप अपने प्रथम प्रेम से मिल रहे हैं, कभी लगेगा की आप कल्पना के आकाश को छू कर आ रहे हैं।
आशा है कि आप लोग को रचनाएँ पसंद आएँगीं, सिर्फ दराज में नहीं सजेंगीं बल्कि दिल में बसेंगीं, दोस्त बनेंगीं !
‘कलम, जिंदगी और मुस्कुराहट’ ईयू.पी.एस.एस के कवियों और कवयित्रियों के द्वारा लिखित रचनाओं का संग्रह है, जो की अपनों से दूर बसे भारतीयों की भावनाओं को व्यक्त करता है!
अपने-अपने क्षेत्र में पारंगत ये रचनाकार अपनी ‘कलम’ से लिखे हुए शब्दों से ‘जिंदगी’ की ऐसी गूढ़ कहानियाँ पिरोते हैं, जिसे आप पढ़कर ‘मुस्कुराए’ बिना नहीं रह पाएंगे !
About the Author
यूरोपीय संघ के एक देश, नीदरलैंडस में रहने वाले, महेश वल्लभ पांडेय, एक प्रकाशित लेखक, शायर, ब्लॉगर, डिजिटल पॉडकास्टर, डिजिटल पॉडकास्ट शो निर्माता और निर्देशक, रेडियो शो निर्माता और निर्देशक, उपन्यासकार, गीतकार और एक इवेंट होस्ट के रूप में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
Weight | 0.200 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.6 cm |
Author | Mahesh Vallabh Pandey |
ISBN-13 | 9789363186262 |
ISBN-10 | 9363186261 |
Pages | 216 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/kalam-zindagi-aur-muskurahat-hindi/p/itmb668ab70bbf68?pid=9789363186262 |
ISBN10-9363186261
Fiction Books, Humour, Issues, Social Studies