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Kanela Ki Katha (कनैला की कथा)

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पुस्तक के बारे में

कनैला वस्तुत राहुल जी का पितृग्राम है और कनैला की कथा उसका ऐतिहासिक भौगोलिक चित्रफलक है । ईसापूर्व १३ वी शताब्दी में कनैला की स्थिति के बारे में एकदम सन्नाटा है उस जगह पर क्या कुछ था, कहा नही जा सकता। बाद के युग में शिशपा या सिसवा नगर की चर्चा की गई है। जिस समय (ईसापूर्व सातवी सदी) की हम बात कर रहे है, उस समय की भी धरोहर सिसवा और कनैला की भूमि में जरूर छिपी हुई है । वह सामने आती, तो अपनी मूक भाषा में बहुत सी बातें बतलाती। राहुल जी ने कालानुक्रम से कनैला और उसके नगर सिसवा की ऐतिहासिक धरोहर को लघु वृत्तान्तों के माध्यम से स्पष्ट किया है ष्किनैला की कथा में राहुल सांकृत्यायन ने नेपाल के कनेला गाँव की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों और वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक, और भौगोलिक परिदृश्यों का चित्रण किया है। उन्होंने वहाँ के लोगों की जीवनशैली, उनकी समस्याओं, और उनके संघर्षों को बड़े ही सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है।

लेखक के बारे में

हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है। ये एक भारतीय साहित्यकार, इतिहासकार, तिब्बती भाषा के विद्वान और घुमक्कड़ थे। उनका असली नाम केदारनाथ पांडे था, लेकिन वे राहुल सांकृत्यायन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पंदहा नामक गाँव में हुआ था। वे बचपन से ही जिज्ञासु और ज्ञान पिपासु थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने संस्कृत, पाली, प्राकृत, तिब्बती, और कई अन्य भाषाएँ सीखी।

राहुल सांकृत्यायन ने लगभग 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें उपन्यास, यात्रा-वृतांत, निबंध, और इतिहास से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं। उनके प्रमुख कार्यों में ‘वोल्गा से गंगा’, ‘घुमक्कड़ शास्त्र’, ‘मेरी जीवन यात्रा’ ‘दर्शन-दिग्दर्शन’ आदि शामिल हैं।इसके साथ ही उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की और वहाँ के समाज, संस्कृति और भाषा का अध्ययन किया। उनकी तिब्बत यात्राओं ने उन्हें विशेष प्रसिद्धि दिलाई, जहाँ से उन्होंने दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ग्रंथ संकलित किए।

कनैला की कथा पुस्तक किसके बारे में है?

यह पुस्तक एक लोककथा है जो साहस और जीवन के संघर्षों की कहानी प्रस्तुत करती है।

क्या कनैला की कथा एक सच्ची कहानी है?

यह एक लोककथा है, जो प्राचीन परंपराओं और कहानियों पर आधारित है।

पुस्तक कनैला की कथा में ग्रामीण जीवन का वर्णन कैसे किया गया है?

पुस्तक में ग्रामीण जीवन और उसकी चुनौतियों का सजीव वर्णन है।

पुस्तक कनैला की कथा की भाषा कैसी है?

पुस्तक सरल और प्रभावशाली हिंदी भाषा में लिखी गई है।

क्या कनैला की कथा बच्चों के लिए उपयुक्त है?

हां, यह कहानी हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है और बच्चों के लिए प्रेरणादायक है।

Additional information

Weight 0.125 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1 cm
Author

Rahul Sankrityayan

Page

138

Format

Paperback

language

Hindi

Publisher

Diamond Books

कनैला की कथा ग्रामीण भारत की एक अनमोल लोकगाथा है जो साहस, संघर्ष और प्रकृति के साथ जुड़ाव की कहानी प्रस्तुत करती है। यह कहानी पारंपरिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहरों को दर्शाती है। भावनात्मक और प्रेरणादायक, यह पुस्तक हर पाठक के दिल को छूने वाली है।

ISBN10 -9363186687

SKU 9789363186682 Categories , Tags ,