Kanan-Kanan (कानन-कानन)

200.00

‘स्मृति गंध’ व ‘अनुगूंज’ की सफलता के उपरान्त लेखक श्री बाल कृष्ण सक्सैना का तीसरा कहानी संकलन ‘कानन – कानन’ इस श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ता है । इनकी लेखन शैली में कहानी कहने का एक नया अन्दाज़ झलकता है। लेखक ने कहानी के माध्यम से जीवन की ज़मीनी सच्चाइयों को सादगी से बयान किया है। जिस सरलता से स्थिति, स्थान व पात्रों के व्यवहार का वर्णन किया गया है, जिस तरीके से हिन्दी भाषा के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, पंजाबी और अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों का उपयोग किया है यह हिन्दी भाषियों की उदार प्रकृति व लेखक की परिपक्वता दर्शाता है।
स्वतंत्रता के उपरान्त जन्म लेने वाली पीढ़ी के बाल कृष्ण सक्सैना जी का जन्मस्थान दिल्ली है और शिक्षा भी दिल्ली विश्वविद्यालय से ही प्राप्त की। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बी.कॉम ऑनर्स के उपरान्त सी. ए. और एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त कर १६७३ से ही सी.ए. के पेशे में कार्यरत हैं। अनेक समाज सेवी संस्थाओं, क्लब आदि के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं। पेशे से चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट होने के बावजूद, हिन्दी साहित्य में पठन-पाठन व लेखन में गहरी रुचि रखते हैं। एक बहुमुखी व्यक्तित्व को अपने में समेटे हिन्दी साहित्य में बेजोड़ कहानियों का सृजन कर कहानी के अन्दाज़ को एक नई दिशा दी है।
कहानियां रोचक और अनूठी होने के साथ-साथ पाठक के मन से रिश्ता जोड़ने में पूर्णतयः सक्षम हैं। कोई कहानी हंसाती है, कोई रुलाती है, तो कोई अपने भीतर छिपा सामाजिक संदेश पाठक के मन-मस्तिष्क में समाहित कर देती है।
भारतीय समाज में सृजनात्मक कार्यों में व देश की न्यायिक व प्रशासनिक प्रणाली में सुधार करने की विचारधारा से प्रेरित, सदैव अपने उद्देश्य में कार्यरत रहते हैं। वित्तीय, आर्थिक, आयकर व राजस्व विषयों पर अपने गहन शोध पर आधारित कुछ अंग्रेज़ी की पुस्तकें लिखने में जुटे हैं और शीघ्र ही यह पुस्तकें पाठकों को उपलब्ध होंगी।

Additional information

Author

Bal Krishna Saxena

ISBN

9789356846623

Pages

48

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356846626

Flipkart

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ISBN 10

9356846626

‘स्मृति गंध’ व ‘अनुगूंज’ की सफलता के उपरान्त लेखक श्री बाल कृष्ण सक्सैना का तीसरा कहानी संकलन ‘कानन – कानन’ इस श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ता है । इनकी लेखन शैली में कहानी कहने का एक नया अन्दाज़ झलकता है। लेखक ने कहानी के माध्यम से जीवन की ज़मीनी सच्चाइयों को सादगी से बयान किया है। जिस सरलता से स्थिति, स्थान व पात्रों के व्यवहार का वर्णन किया गया है, जिस तरीके से हिन्दी भाषा के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, पंजाबी और अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों का उपयोग किया है यह हिन्दी भाषियों की उदार प्रकृति व लेखक की परिपक्वता दर्शाता है।
स्वतंत्रता के उपरान्त जन्म लेने वाली पीढ़ी के बाल कृष्ण सक्सैना जी का जन्मस्थान दिल्ली है और शिक्षा भी दिल्ली विश्वविद्यालय से ही प्राप्त की। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बी.कॉम ऑनर्स के उपरान्त सी. ए. और एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त कर १६७३ से ही सी.ए. के पेशे में कार्यरत हैं। अनेक समाज सेवी संस्थाओं, क्लब आदि के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं। पेशे से चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट होने के बावजूद, हिन्दी साहित्य में पठन-पाठन व लेखन में गहरी रुचि रखते हैं। एक बहुमुखी व्यक्तित्व को अपने में समेटे हिन्दी साहित्य में बेजोड़ कहानियों का सृजन कर कहानी के अन्दाज़ को एक नई दिशा दी है।
कहानियां रोचक और अनूठी होने के साथ-साथ पाठक के मन से रिश्ता जोड़ने में पूर्णतयः सक्षम हैं। कोई कहानी हंसाती है, कोई रुलाती है, तो कोई अपने भीतर छिपा सामाजिक संदेश पाठक के मन-मस्तिष्क में समाहित कर देती है।
भारतीय समाज में सृजनात्मक कार्यों में व देश की न्यायिक व प्रशासनिक प्रणाली में सुधार करने की विचारधारा से प्रेरित, सदैव अपने उद्देश्य में कार्यरत रहते हैं। वित्तीय, आर्थिक, आयकर व राजस्व विषयों पर अपने गहन शोध पर आधारित कुछ अंग्रेज़ी की पुस्तकें लिखने में जुटे हैं और शीघ्र ही यह पुस्तकें पाठकों को उपलब्ध होंगी।

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