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करुणा और क्रांति में ओशो ने करुणा के महत्व और उसकी शक्ति पर जोर दिया है। इस पुस्तक में वह बताते हैं कि करुणा केवल एक भावना नहीं, बल्कि यह एक क्रांति का माध्यम भी है। ओशो का मानना है कि जब हम करुणा को अपने जीवन में अपनाते हैं, तब हम अपने भीतर की नफरत, द्वेष और संघर्ष को समाप्त कर सकते हैं। यह पुस्तक न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए भी प्रेरित करती है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
इस पुस्तक का मुख्य विषय करुणा और उसकी क्रांतिकारी शक्ति है। ओशो ने इसमें बताया है कि करुणा केवल एक भावना नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन में गहरे बदलाव लाने का माध्यम है। करुणा को अपनाकर हम अपने भीतर की नकारात्मकता को समाप्त कर सकते हैं।
ओशो का मानना है कि करुणा एक गहरी समझ और सहानुभूति से उत्पन्न होती है। वे कहते हैं कि जब हम करुणा को अपने जीवन में शामिल करते हैं, तब हम न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। करुणा हमारे जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाती है।
इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को करुणा के महत्व को समझाना और उन्हें इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। ओशो चाहते हैं कि लोग अपने भीतर की नफरत और द्वेष को छोड़कर करुणा के मार्ग पर चलें। यह पुस्तक व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन का एक साधन है।
इस पुस्तक में ओशो ने ध्यान और आत्म-जागरूकता की चर्चा की है, जो करुणा को विकसित करने में सहायक हैं। हालांकि इसमें विशिष्ट तकनीकें नहीं हैं, लेकिन ओशो ने करुणा और ध्यान के संबंध को स्पष्ट किया है। ध्यान से करुणा की भावना को और गहरा किया जा सकता है।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में करुणा को शामिल करना चाहते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। चाहे आप साधक हों या एक सामान्य व्यक्ति, यह पुस्तक आपको करुणा के महत्व और उसके प्रभाव को समझने में मदद करेगी।
Weight | 125 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8128809954 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128809954 |
ओशो – करुणा और क्रान्ति अगर करुणा आ जाए तो क्रान्ति अनिवार्य है। क्रान्ति सिर्फ करुणा की परिधि, छाया से ज्यादा नहीं है। और जो क्रान्ति करुणा के बिना आएगी, बहुत खतरनाक होगी। ऐसी बहुत क्रान्तियां हो चुकी हैं और वे जिन बीमारियों को दूर करती हैं, उनसे बड़ी बीमारियों को अपने पीछे छोड़ जाती हैं। — ओशो ISBN10-8128809954
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