यदि स्वर्गीय डॉ. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन के महल की व्यवस्था को अपनी पहल से जनता के राष्ट्रपति के रूप में बदल दिया तो डॉ. किरण बेदी ने भी पुडुचेरी में राज न की कार्यप्रणाली और धारणा को बदल दिया। उपराज्यपाल का जन-केंद्रित दृष्टिकोण, सरकारी कार्यालयों में औचक निरीक्षण या नियमित रूप से जनता के बीच जाकर उनसे बातचीत करने के, सभी वीडियो आज लोगों के बीच देखे जा रहे हैं,जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, निस्संदेह ये लेखिका के भी मनपसंद थे, लेकिन इसे वहां की निर्वाचित सरकार ने पसंद नहीं किया गया क्योंकि उनकी नज़र में डॉ. किरण बेदी की यह कार्यशैली संवैधानिक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन है। इसलिए इस पुस्तक की टैग लाइन आसानी से ये भी हो सकती है – उम्मीद का दुस्साहस ।
Karuna Ke Swar (करुणा के स्वर)
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यदि स्वर्गीय डॉ. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन के महल की व्यवस्था को अपनी पहल से जनता के राष्ट्रपति के रूप में बदल दिया तो डॉ. किरण बेदी ने भी पुडुचेरी में राज न की कार्यप्रणाली और धारणा को बदल दिया। उपराज्यपाल का जन-केंद्रित दृष्टिकोण, सरकारी कार्यालयों में औचक निरीक्षण या नियमित रूप से जनता के बीच जाकर उनसे बातचीत करने के, सभी वीडियो आज लोगों के बीच देखे जा रहे हैं,जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, निस्संदेह ये लेखिका के भी मनपसंद थे, लेकिन इसे वहां की निर्वाचित सरकार ने पसंद नहीं किया गया क्योंकि उनकी नज़र में डॉ. किरण बेदी की यह कार्यशैली संवैधानिक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन है। इसलिए इस पुस्तक की टैग लाइन आसानी से ये भी हो सकती है – उम्मीद का दुस्साहस ।
ISBN10-9389807352
Additional information
Author | Shivani Arora |
---|---|
ISBN | 9789389807356 |
Pages | 32 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
ISBN 10 | 9389807352 |
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