कश्मीर के प्रश्न ने स्वाधीन भारत के राष्ट्रीय एवं अंतर राष्ट्रीय नीतियों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। पिछले 76 वर्षों से पाकिस्तान के साथ चल रहे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष युद्धों ने एवं उसके द्वारा प्रायोजित आतंक एवं हिंसा से हमें जन धन की अपूरणीय क्षति हो रही है। आंतरिक रूप से भी कश्मीर की राजनीति असहज एवं हिंसा पूर्ण ही रही है। चार खंडों में प्रस्तुत यह पुस्तक कश्मीर तथा भारत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों, भारत की स्वाधीनता, उसके सांप्रदायिक विभाजन, आधुनिक भारत एवं कश्मीर का एकीकरण, कश्मीर युद्ध एवं संयुक्त राष्ट्र संघ अनुच्छेद 370 की उत्पत्ति, क्षरण एवं समाप्ति को पूरी समग्रता में सामने लाती है। यह पुस्तक विषय के मेधापूर्ण विश्लेष्ण एवं भाषा के लालित्य की दृष्टि से अनुपम है।
अति सहज एवं सरल रूप में प्रस्तुत यह पुस्तक इस उद्देश से लिखी गयी है कि राष्ट्रीय महत्त्व के प्रश्न पर सच्चाई सामने आए, हिंदी भाषा में इस विषय पर एकमात्र पुस्तक।
लेखक का जन्म मुंगेर ( बिहार ) जनपद के महेशपुर ग्राम में हुआ। इन्होने स्थानीय महाविद्यालय से राजनीति शास्त्र ( प्रतिष्ठा ) एवं प्रमंडलीय महाविद्या सहज एवं सरल रूप में प्रस्तुत यह पुस्तक इस उद्देश से लिखी गयी है कि राष्ट्रीय महत्त्व के प्रश्न पर सच्चाई सामने आए, हिंदी भाषा में इस विषय पर एकमालय से विधि स्नातक (प्रथम श्रेणी) की उपाधि प्राप्त की अपने राजनीति विचारों एवं लेखन के कारण इन्हें आपात काल में जून 1975 से मार्च 1977 तक आंतरिक सुरक्षा अधिनियम में निरुद्ध किया गया।
इनकी पूर्व में प्रकाशित पुस्तकों जिसमें कृषि क्षेत्र की अवहेलना तथा कृषि उत्पाद को प्रभावित करने वाले कारणों को दर्शाया गया है तथा भारतीय समाज में जातिगत असमानता का प्रश्न जिसमें जातिगत असमानता के पीछे के आर्थिक कारणों का विश्लेषण किया गया है का अच्छा स्वागत हुआ। जनवरी 2023 में प्रकाशित पुस्तक “ भारत चीन : नए रिश्ते नयी राहें ” को भी पाठकों का पूर्ण समर्थन मिल रहा है।