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Kasturi Kundal Basai by osho कस्तूरी कुंडल बसै

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कबीर ने बड़ा प्यारा प्रतीक चुना है। जिस पंदिर की तुम तलाश कर रहे हो, वह तुम्हारे कुंडल में बसा है, वह तुम्हारे ही भीतर है, वह तुम ही हो। और जिस परमात्मा की तुम मूर्ति गढ़ रहे हो, उसकी मूर्ति गढ़ने की कोई जरूरत ही नहीं, तुम ही उसकी मूर्ति हो। तुम्हारे अंतर-आकाश में जलता हुआ उसका दीया, तुम्हारे भीतर उसकी ज्योतिर्मयी छवि मौजूद है। तम मिट्टी के दिये भला हो ऊपर से, भीतर तो चिन्मय की ज्योति है। मृण्यम होगी तुम्हारी देह, चिन्मय है तुम्हारा स्वरूप। मिट्टी के दीये तुम बाहर से हो, ज्योति थोडे़ ही मिट्टी की है। दीया पृथ्वी का है, ज्योति आकाश की है दीया संसार का है, ज्योति परमात्मा की है।

ओशो

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः

  • काम, क्रोध और लोभ से मुक्ति के उपाय
  • मान और अभिमान में क्या फर्क है?
  • श्रद्धा का क्या अर्थ है?
  • संकल्प का क्या अर्थ है?
  • धर्म और संप्रदाय में क्या भेद है?
  • जीवन का राज कहां छिपा है?

ISBN10-9351656322

कस्तूरी कुंडल बसै-0
Kasturi Kundal Basai by osho कस्तूरी कुंडल बसै
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कस्तूरी कुंडल बसै ओशो की एक गहन आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसमें आत्मज्ञान और आत्म-खोज के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। ओशो ने इस पुस्तक में समझाया है कि जैसे कस्तूरी मृग अपनी ही नाभि में छुपी कस्तूरी को बाहरी दुनिया में खोजता है, वैसे ही मनुष्य भी बाहरी साधनों में सुख और शांति ढूंढता है, जबकि असली शांति और ज्ञान उसके भीतर ही छिपा होता है। यह पुस्तक हमें आत्म-अन्वेषण और आंतरिक शांति की यात्रा के लिए प्रेरित करती है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

कस्तूरी कुंडल बसै’ का मुख्य संदेश क्या है?

इस पुस्तक का मुख्य संदेश है कि आत्मज्ञान और शांति बाहर की दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपी होती है। ओशो ने इसे कस्तूरी मृग की कहानी से जोड़ा है, जो अपनी कस्तूरी को बाहरी दुनिया में खोजता है, जबकि वह उसकी नाभि में ही होती है।

क्या यह पुस्तक ध्यान पर आधारित है?

हाँ, कस्तूरी कुंडल बसै में ध्यान की गहरी समझ दी गई है। ओशो बताते हैं कि ध्यान के माध्यम से हम अपने भीतर के अनमोल खजाने यानी आत्मिक शांति और ज्ञान को पा सकते हैं। ध्यान इस पुस्तक का महत्वपूर्ण अंग है।

ओशो ने कस्तूरी मृग की कहानी का क्या महत्व बताया है?

ओशो कस्तूरी मृग की कहानी का उपयोग इस बात को समझाने के लिए करते हैं कि जैसे मृग अपनी ही नाभि में छुपी कस्तूरी को बाहरी दुनिया में खोजता है, वैसे ही हम भी सुख और शांति को बाहर खोजते हैं, जबकि यह हमारे भीतर ही स्थित होती है। यह कहानी आत्म-खोज की दिशा में एक प्रतीकात्मक संदेश देती है।

कस्तूरी कुंडल बसै’ का क्या आध्यात्मिक महत्व है?

इस पुस्तक का आध्यात्मिक महत्व इस बात में है कि यह हमें यह सिखाती है कि सच्चा ज्ञान और शांति हमारे भीतर ही छिपी है। ओशो के अनुसार, आत्म-खोज का मार्ग ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है, और यह पुस्तक उसी दिशा में हमारा मार्गदर्शन करती है।

क्या ‘कस्तूरी कुंडल बसै’ में आत्मिक जागरूकता के उदाहरण दिए गए हैं?

हाँ, ओशो ने कई उदाहरणों के माध्यम से आत्मिक जागरूकता और आत्म-ज्ञान के महत्व को समझाया है। उन्होंने कस्तूरी मृग की कहानी के माध्यम से यह सिखाया है कि हमें अपने भीतर झांकने की जरूरत है।

Additional information

Weight 336 g
Dimensions 19.8 × 12.9 × 0.2 cm
Author

Osho

ISBN

9789351656326

Pages

148

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351656322