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Katha-Gorakhpur Khand-1 (कथा-गोरखपुर खंड-1)

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जाग मछंदर गोरख आया! कह कर अपने गुरु को ही जगाने वाले महाकवि गुरु गोरखनाथ ने लिखा है न :
मरो वै जोगी मरौ, मरण है मीठा ।
मरणी मरौ जिस मरणी, गोरख मरि दीठा
यहां गोरख, अहंकार को मारने की बात करते हैं। तो गुरु गोरखनाथ की धरती की गमक में गमकती कथा – गोरखपुर की यह कहानियां दिल की घाटियों में संतूर की तरह बजती हैं। कथा – गोरखपुर की खास खासियत यह है कि कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर हैं। इन कथाओं में गोरखपुर की माटी ऐसे बोलती है जैसे मां बोलती है। एक से एक नायाब कहानियां हैं इस कथा – गोरखपुर में । गोरखपुर की माटी की महक इन कथाओं में महकती, गमकती और इतराती हुई इठलाती मिलती है।

About the Author

13 उपन्यास, 11 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 72 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण। उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान, कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं।

जाग मछंदर गोरख आया! कह कर अपने गुरु को ही जगाने वाले महाकवि गुरु गोरखनाथ ने लिखा है न :
मरो वै जोगी मरौ, मरण है मीठा ।
मरणी मरौ जिस मरणी, गोरख मरि दीठा
यहां गोरख, अहंकार को मारने की बात करते हैं। तो गुरु गोरखनाथ की धरती की गमक में गमकती कथा – गोरखपुर की यह कहानियां दिल की घाटियों में संतूर की तरह बजती हैं। कथा – गोरखपुर की खास खासियत यह है कि कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर हैं। इन कथाओं में गोरखपुर की माटी ऐसे बोलती है जैसे मां बोलती है। एक से एक नायाब कहानियां हैं इस कथा – गोरखपुर में । गोरखपुर की माटी की महक इन कथाओं में महकती, गमकती और इतराती हुई इठलाती मिलती है।

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13 उपन्यास, 11 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 72 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण। उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान, कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं।

Additional information

Author

Dayanand Pandey

ISBN

9789355995773

Pages

682

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355995776

Flipkart

https://www.flipkart.com/katha-gorakhpur-khand-1/p/itm9299f65b2c77a?pid=9789355995773

ISBN 10

9355995776

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