Katha-Lucknow-10 (कथा-लखनऊ-10)

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कहते हैं जादू सरसो पे पढ़े जाते हैं, तरबूज पर नहीं। तो लखनऊ वही सरसो है, जहां कहानियों का जादू सिर चढ़ कर बोलता है। कहानी मन में भी लिखी जाती है। सिर्फ कागज पर कलम से ही नहीं। उंगलियों से कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल पर ही नहीं। कहानी दुनिया भर में दुनिया की सभी भाषाओं में लिखी गई है। पर लखनऊ में जैसी और जिस तरह की कहानियां लिखी गई हैं और निरंतर लिखी जा रही हैं, कहीं और नहीं। हर शहर की अपनी तासीर होती है पर लखनऊ की तासीर और तेवर के क्या कहने।

About the Author

दयानंद पांडेय जी ने कोई 13 उपन्यास, 13 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 75 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता । सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट, जनसत्ता, नई दिल्ली, स्वतंत्र भारत, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क तथा राष्ट्रीय सहारा लखनऊ और दिल्ली में संपादक, विशेष संवाददाता आदि विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास, कहानियों, कविताओं और गजलों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न, सुमि का स्पेस का अंग्रेजी में, बर्फ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। कुछ कविताओं, गजलों और कहानियों का प्रिया जलतारे द्वारा मराठी में अनुवाद। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण । उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित अन्य अनेक सम्मान मिल चुके हैं।

 

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कहते हैं जादू सरसो पे पढ़े जाते हैं, तरबूज पर नहीं। तो लखनऊ वही सरसो है, जहां कहानियों का जादू सिर चढ़ कर बोलता है। कहानी मन में भी लिखी जाती है। सिर्फ कागज पर कलम से ही नहीं। उंगलियों से कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल पर ही नहीं। कहानी दुनिया भर में दुनिया की सभी भाषाओं में लिखी गई है। पर लखनऊ में जैसी और जिस तरह की कहानियां लिखी गई हैं और निरंतर लिखी जा रही हैं, कहीं और नहीं। हर शहर की अपनी तासीर होती है पर लखनऊ की तासीर और तेवर के क्या कहने।

About the Author

दयानंद पांडेय जी ने कोई 13 उपन्यास, 13 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 75 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता । सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट, जनसत्ता, नई दिल्ली, स्वतंत्र भारत, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क तथा राष्ट्रीय सहारा लखनऊ और दिल्ली में संपादक, विशेष संवाददाता आदि विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास, कहानियों, कविताओं और गजलों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न, सुमि का स्पेस का अंग्रेजी में, बर्फ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। कुछ कविताओं, गजलों और कहानियों का प्रिया जलतारे द्वारा मराठी में अनुवाद। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण । उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित अन्य अनेक सम्मान मिल चुके हैं।

 

Additional information

Author

Dayanand Pandey

ISBN

9789355992031

Pages

240

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355992033

Flipkart

https://www.flipkart.com/katha-lucknow-10-in-hindi/p/itma9f5761397fd4?pid=9789355992031

ISBN 10

9355992033