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‘किरचे’ उपन्यास बाहरी तौर पर तो पति-पत्नी की अदला-बदली का उपन्यास लगता है, परंतु जब इसे आरंभ से अंत तक पढ़ा जाऐ तो समझ आता है कि यह वाइफ स्वैपिंग कथानक का एक टूल है। नायक जातीय ग्रंथि से ग्रसित होकर एक योजना के तहत वाइफ स्वैपिंग या की पार्टी को अंजाम देता है। नायक मोहित की जातीयता को लेकर जो विचार हैं, अनुभव हैं वह लेखक से मेल खाते हैं। मोहित ने अपने जीवन में जो कठिनाइयाँ झेलीं या जाति के नाम पर समाज ने उसे जो प्रताड़नाएँ दीं वे लेखक के वास्तविक जीवन से मेल खाती हैं। लेखक उन प्रताड़नाओं को सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ता चला गया, परंतु नायक मोहित की भाँति लेखक के मन में पीड़ा सदा बनी रही कि समाज ने जाति के आधार पर उसे निकृष्ट घोषित कर दिया, जबकि वह प्रतिभा में किसी से कम नहीं था। यह पीड़ा मोहित के भीतर हीनता ग्रंथि बनकर बैठ गयी और इसी ग्रंथि ने प्रतिशोध को जन्म दिया। इस प्रतिशोध ने दोस्त, प्रेमिका, पत्नी, बेटे को सभी को निगल लिया।
Author | Rakesh Shankar Bharti |
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ISBN | 9789359203720 |
Pages | 144 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/kirchay-in-hindi/p/itmfa26c2ef6ee9f?pid=9789359203720 |
ISBN 10 | 9359203726 |
‘किरचे’ उपन्यास बाहरी तौर पर तो पति-पत्नी की अदला-बदली का उपन्यास लगता है, परंतु जब इसे आरंभ से अंत तक पढ़ा जाऐ तो समझ आता है कि यह वाइफ स्वैपिंग कथानक का एक टूल है। नायक जातीय ग्रंथि से ग्रसित होकर एक योजना के तहत वाइफ स्वैपिंग या की पार्टी को अंजाम देता है। नायक मोहित की जातीयता को लेकर जो विचार हैं, अनुभव हैं वह लेखक से मेल खाते हैं। मोहित ने अपने जीवन में जो कठिनाइयाँ झेलीं या जाति के नाम पर समाज ने उसे जो प्रताड़नाएँ दीं वे लेखक के वास्तविक जीवन से मेल खाती हैं। लेखक उन प्रताड़नाओं को सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ता चला गया, परंतु नायक मोहित की भाँति लेखक के मन में पीड़ा सदा बनी रही कि समाज ने जाति के आधार पर उसे निकृष्ट घोषित कर दिया, जबकि वह प्रतिभा में किसी से कम नहीं था। यह पीड़ा मोहित के भीतर हीनता ग्रंथि बनकर बैठ गयी और इसी ग्रंथि ने प्रतिशोध को जन्म दिया। इस प्रतिशोध ने दोस्त, प्रेमिका, पत्नी, बेटे को सभी को निगल लिया।
ISBN10-9359203726
Diamond Books, Books, Business and Management, Economics