प्रस्तुत पुस्तक में अनेक संपादकों पर भी लेख हैं जिनसे हिमांशु जोशीजी मिले। जिनमें रामानन्द ‘दोषी’, राजेन्द्र शर्मा, महावीर अधिकारी, भवानीप्रसाद मिश्र, रामचन्द्र तिवारी आदि भी हैं।
इन दुर्लभ लेखों को संग्रहित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना ही मात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि इन गुमनाम यशस्वियों के बारे में बताना जरूरी था जो समय की आंधी में कहीं खो गए हैं। आज इनमें से अधिकांश के नाम और कार्यों के विषय में लोग नहीं जानते। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहें इसे।
हिमांशुजी ने सैंकड़ों लेख लिखे और साक्षात्कार भी लिए अपनी पत्रकारिता के दौरान। आज यह कुछ दुर्लभ लेख हैं पाठकों के सामने । आशा ही नहीं, विश्वास भी है कि हिमांशु जोशीजी के लोकप्रिय उपन्यासों और कहानियों की तरह लेखों का संग्रह भी पसंद आएगा पाठकों को ।
About the Author
हिमांशु जोशी जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड। कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि। प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत। स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।