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Lakhima Ki Aankhen : Kavi Vidyapati Ke Jeevan Per Aadharit Upanyas (लखिमा की आँखें : कवि विद्यापति के जीवन पर आधारित उपन्यास)-0
Lakhima Ki Aankhen : Kavi Vidyapati Ke Jeevan Per Aadharit Upanyas (लखिमा की आँखें : कवि विद्यापति के जीवन पर आधारित उपन्यास)-7488

Lakhima Ki Aankhen : Kavi Vidyapati Ke Jeevan Per Aadharit Upanyas (लखिमा की आँखें : कवि विद्यापति के जीवन पर आधारित उपन्यास)

Original price was: ₹175.00.Current price is: ₹174.00.

इस उपन्यास में रानी लखिमा और विद्यापति की प्रेम कथा है। राजा शिवप्रसाद सिंह विद्यापति के आयदाता होने के साथ-साथ उनके मित्र भी थे। रांगेय राघव ने विद्यापति के दोनों भक्त व श्रृंगारी कवि रूपों का संघर्ष किया है। विद्यापति के जीवन गाथा के साथ ही तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन भी उपन्यास में सशक्त ढंग से आया है। ‘लखिमा की आंखें’ में रांगेय राघव ने राजा शिवसिंह और विद्यापति की मित्रता के साथ रानी लखिमा और विद्यापति के प्रति आकर्षण भी वर्णित किया है। इसी उपन्यास में विद्यापति के संघर्षमय जीवन का भी वर्णन किया गया है।

About the Author

रांगेय राघव (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।

Additional information

Author

Rangeya Raghav

ISBN

9789355991164

Pages

128

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

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ISBN 10

9355991169

इस उपन्यास में रानी लखिमा और विद्यापति की प्रेम कथा है। राजा शिवप्रसाद सिंह विद्यापति के आयदाता होने के साथ-साथ उनके मित्र भी थे। रांगेय राघव ने विद्यापति के दोनों भक्त व श्रृंगारी कवि रूपों का संघर्ष किया है। विद्यापति के जीवन गाथा के साथ ही तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन भी उपन्यास में सशक्त ढंग से आया है। ‘लखिमा की आंखें’ में रांगेय राघव ने राजा शिवसिंह और विद्यापति की मित्रता के साथ रानी लखिमा और विद्यापति के प्रति आकर्षण भी वर्णित किया है। इसी उपन्यास में विद्यापति के संघर्षमय जीवन का भी वर्णन किया गया है।

About the Author

रांगेय राघव (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।

ISBN10-9355991169

SKU 9789355991164 Categories , , Tags ,