Lamho Ka Ghar Hindi (HB)

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स्वाध्ीन की ग़्ाज़्ालें देखीं, वे प्रभावशाली हैं।
µडा. हरिवंश राय बच्चन
हिन्दी में यूं तो बहुत से लोगों ने ग़्ाज़्ालें कही हैं, लेकिन कम ही ग़्ाज़्ालकारों को सपफलता मिली है। दुष्यन्त कुमार के बाद स्वाध्ीन ने ग़्ाज़्ाल के मिजाज़्ा को पूरी तरह से समझा और उस के आर्ट पर अध्किार हासिल किया है। नई तुलनाओं ओर प्रतीक बिम्बों के जरिये इस विध में नया ख़ून दौड़ाया है तथा यथार्थवादी भावबोध् की दुनिया सृजित की है।

शशि नारायण स्वाध्ीनः जन्म: 15-5-1966, हैदराबाद
पेशे से पत्राकार रहे शशि नारायण स्वाध्ीन ने दमितों और पीडि़तों का जीवन बहुत नजदीक से देखा है। यही कारण है कि उनकी कविताओं में इनका दर्द महसूस किया जा सकता है। लम्बे समय से काव्य साध्ना करने वाले स्वाध्ीन को अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं जिसमें राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा द्वारा साहित्य समारोह में प्रदान किया गया सम्मान सर्वप्रमुख है। वर्तमान में वे केन्द्र और कई राज्यों में हिन्दी सलाहकार समिति के मनोनीत सदस्य हैं। आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान में हैदराबाद से प्रकाशित पत्रिका ‘हिन्दी संवाद सेतु’ के संपादक पद पर कार्यरत हैं।
सम्पर्क-150/4 एल.आई.जी. प्ट पफेज़्ा के.पी.एच.बी. कालोनी, हैदराबाद-500085 दूरभाष: 040-23055293/9849512747.

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Lamho Ka Ghar Hindi (HB)
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स्वाध्ीन की ग़्ाज़्ालें देखीं, वे प्रभावशाली हैं।
µडा. हरिवंश राय बच्चन
हिन्दी में यूं तो बहुत से लोगों ने ग़्ाज़्ालें कही हैं, लेकिन कम ही ग़्ाज़्ालकारों को सपफलता मिली है। दुष्यन्त कुमार के बाद स्वाध्ीन ने ग़्ाज़्ाल के मिजाज़्ा को पूरी तरह से समझा और उस के आर्ट पर अध्किार हासिल किया है। नई तुलनाओं ओर प्रतीक बिम्बों के जरिये इस विध में नया ख़ून दौड़ाया है तथा यथार्थवादी भावबोध् की दुनिया सृजित की है।
µमुगनी तबस्सुम
स्वाध्ीन की ग़्ाज़्ालें हिन्दी के साथ-साथ उर्दू के भी व़्ाफरीब हैं। ये ग़्ाज़्ालें आदमी को जगाने का काम करती हैं। यव़्ाफीनन उर्दू से इनकी रव़्ाफबत हौसला अप़्ाफज़्ााई की मुस्तहिव़्ाफ हैं।
µशाज़्ा तमकनत
मैंने स्वाध्ीन की ग़्ाज़्ालें पढ़ी, उनकी भाषा संतुलित और समर्थ है। इन ग़्ाज़्ालों में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
µत्रिलोचन
स्वाध्ीन के प्रोस्टेट ने शब्दों को अंगारों जैसा रोशन किया है, जो पढ़ने-सुनने वालों को भी अंध्ेरे में बहुत देर तक शांत नहीं रहने देते। यहीं पर पाठक कवि की आग में अपनी हरारतें पाता है। यह स्वाध्ीन के आर्ट का कमाल है।
µनिदा पफाज़्ाली

Additional information

Author

Swadhin

ISBN

9789350831915

Pages

96

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9350831910