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Loi Ka Taana : Sant Kabir Ke Jeevan Per Aadharit Upanyas (लोई का ताना : संत कबीर के जीवन पर आधारित उपन्यास)

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पुस्तक के बारे में

लोई का ताना’ उपन्यास में कबीर की झाँकी है। ‘लोई का ताना’ रांगेय राघव द्वारा लिया गया एक ऐसा चरित्रात्मक उपन्यास है। जिसमें हिन्दी साहित्य के महान् समाज सुधारक कवि व दार्शनिक संत कबीर की जीवन कहानी है। ‘लोई कबीर की पत्नी है और कबीर ब्राह्मण विधवा से जन्मे थे तथा जुलाहा जाति दंपति से इनका पालन-पोषण हुआ था। ‘लोई का ताना’ एक ऐसा उपन्यास है जिसके माध्यम से कबीर के जीवन द्वारा उस युग की विद्रोहात्मक सामाजिक चेतना का चित्रण किया है। कबीर के जीवन-संबंधी तथ्य अधिक नहीं मिलते। फिर भी उनके साहित्य को पढ़कर जिन निष्कर्षों पर पहुंचे है, वह प्रशंसनीय है। उपन्यासकार ने जीवनी, इतिहास और आलोचना के त्रिभुज द्वारा कबीर के जीवन का चित्रण किया है।

लेखक के बारे में

रांगेय राघव (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
 

लोई का ताना किस प्रकार के कपड़ों में उपयोग होता है?

लोई का ताना मुख्य रूप से साड़ी, शॉल, दुपट्टा, और अन्य पारंपरिक कपड़ों में उपयोग होता है। इसके अलावा, इसे घरेलू सजावट के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

क्या लोई का ताना पर्यावरण के अनुकूल है?

हाँ, लोई का ताना आमतौर पर प्राकृतिक फाइबर जैसे सूती या ऊनी धागे से बनाया जाता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता है। इसके अलावा, यह तकनीक स्थानीय कारीगरों द्वारा की जाती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी समर्थन मिलता है।

लोई का ताना बनाने के लिए कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता होती है?

लोई का ताना बनाने के लिए मुख्य उपकरणों में चकरी (spinning wheel), करघा (loom), और बुनाई के लिए विभिन्न प्रकार के धागे शामिल होते हैं।

क्या लोई का ताना केवल पारंपरिक वस्त्रों में ही उपयोग होता है?

नहीं, लोई का ताना आधुनिक फैशन में भी उपयोग किया जा रहा है। कई डिजाइनर इस तकनीक को अपने संग्रह में शामिल कर रहे हैं, जिससे यह समकालीन वस्त्रों में भी प्रचलित हो रहा है।

लोई का ताना बनाने के लिए कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता होती है?

लोई का ताना बनाने के लिए मुख्य उपकरणों में चकरी (spinning wheel), करघा (loom), और बुनाई के लिए विभिन्न प्रकार के धागे शामिल होते हैं।

Additional information

Weight 180 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.83 cm
Author

Rangeya Raghav

ISBN

9789355990952

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

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https://www.amazon.in/dp/9355990952

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ISBN 10

9355990952

“लोई का ताना: संत कबीर के जीवन पर आधारित उपन्यास” एक अद्भुत साहित्यिक कृति है जो महान संत कबीर के जीवन की कहानी को पुनः जीवित करती है। कबीर, जिन्होंने अपने समय में समाज की कट्टरपंथी धारणाओं को चुनौती दी और सत्य, प्रेम, और करुणा का संदेश दिया, इस उपन्यास के माध्यम से आज के पाठकों को प्रेरित करते हैं। इस पुस्तक में उनके द्वारा प्रचारित मूल्यों, समाज सुधार के विचारों और आध्यात्मिकता की झलक दिखाई देती है। कबीर की सादगी और साहस के साथ, यह पुस्तक एक पाठक को गहरे आध्यात्मिक ज्ञान और मानवीय मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करती है

ISBN10- 9355990952

SKU 9789355990952 Categories , , Tags ,

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