लोक व्यवहार – Lok Vyavhar in Hindi – पुस्तक है जो समाज में सही आचरण और व्यवहार के महत्त्व पर प्रकाश डालती है। इसमें जीवन के हर पहलू में सफलता पाने के लिए नीतियों और नियमों का संग्रह दिया गया है। यह पुस्तक बताती है कि किस तरह से समाज में सही ढंग से पेश आकर, सम्मान प्राप्त किया जा सकता है और कैसे व्यवहारिक जीवन को संतुलित और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
लोक व्यवहार में ऐसे कई सिद्धांत दिए गए हैं जो व्यक्ति के जीवन को सरल और सुसंगत बनाते हैं। इसमें न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि सामाजिक और पेशेवर जीवन में भी सही आचरण और नीतियों का महत्व बताया गया है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में शिष्टाचार और सामाजिक कौशल को बेहतर बनाना चाहते हैं।
लोक व्यवहार जीवन की वह कला दर्शन है जो मनुष्य होने के नाते सबको प्रभावित करता है लेकिन कोई भी कला तब तक प्रभावित नहीं करती जब तक आप व्यवहार सिद्धांत को जमीनी हकीकत से नहीं मिलाते। आप चाहे किसी वर्ग या पेशे से हों, जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए दूसरों को प्रभावित करना जरूरी है। डेल कारनेगी की ‘लोक व्यवहार’ पुस्तक दिलचस्प शैली और सरल भाषा में पाठकों को जनसामान्य से जुड़ने के अचूक तरीके बताती है। जो प्रत्येक पाठक को जीवन जीने की कला को विकसित करती है।.
About the Author
डेल हरबिसन कार्नेगी एक अमेरिकी लेखक और व्याख्याता थे. वे सेल्फ हेल्प मूवमेंट के प्रवर्तक माने जाते हैं और सेल्स, कॉर्पोरेट प्रशिक्षण, कुशल वक्तव्य और पारस्परिक कौशल में प्रसिद्ध पाठ्यक्रमों के डेवलपर थे। मिसौरी में एक खेत पर गरीबी में पैदा हुए, वह ‘हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इंफ्लुएंस पीपल’ (1936) के लेखक थे, जो हमेशा से ही बेस्टसेलर रही है और आज भी इसकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। उन्होंने ‘हाउ टू स्टॉपिंग एंड स्टार्ट लिविंग’ (1948), ‘लिंकन द अननोन’ (1932), और कई अन्य पुस्तकें भी लिखीं। उनकी पुस्तकों में मूल विचारों में से एक यह है कि दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार को बदलकर अन्य लोगों के व्यवहार को बदलना संभव है।.
About the Author
डेल हरबिसन कार्नेगी एक अमेरिकी लेखक और व्याख्याता थे. वे सेल्फ हेल्प मूवमेंट के प्रवर्तक माने जाते हैं और सेल्स, कॉर्पोरेट प्रशिक्षण, कुशल वक्तव्य और पारस्परिक कौशल में प्रसिद्ध पाठ्यक्रमों के डेवलपर थे। मिसौरी में एक खेत पर गरीबी में पैदा हुए, वह ‘हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इंफ्लुएंस पीपल’ (1936) के लेखक थे, जो हमेशा से ही बेस्टसेलर रही है और आज भी इसकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। उन्होंने ‘हाउ टू स्टॉपिंग एंड स्टार्ट लिविंग’ (1948), ‘लिंकन द अननोन’ (1932), और कई अन्य पुस्तकें भी लिखीं। उनकी पुस्तकों में मूल विचारों में से एक यह है कि दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार को बदलकर अन्य लोगों के व्यवहार को बदलना संभव है।
u003cstrongu003eu003cemu003eलोक व्यवहारu003c/emu003e पुस्तक किसके लिए है?u003c/strongu003e
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में सामाजिक और पेशेवर कौशल को सुधारना चाहते हैं और सही आचरण और नीतियों का पालन कर समाज में सफल होना चाहते हैं।
u003cstrongu003eलोक व्यवहार क्यों पढ़नी चाहिए?u003c/strongu003e
यह पुस्तक जीवन में व्यवहारिकता की महत्ता को समझने के लिए पढ़नी चाहिए। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाने और समृद्ध जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करती है।
u003cstrongu003eक्या इस पुस्तक में व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी बताया गया है?u003c/strongu003e
हां, इसमें व्यक्तिगत जीवन में अनुशासन और शिष्टाचार के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिससे जीवन को संतुलित और सरल बनाया जा सके।
u003cstrongu003eयह पुस्तक किस प्रकार की नीतियों और सिद्धांतों पर आधारित है?u003c/strongu003e
यह पुस्तक समाज में सही ढंग से पेश आने के नियम, आचरण की नीतियाँ, और जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता पाने के सिद्धांतों पर आधारित है
u003cstrongu003eक्या इस पुस्तक से पेशेवर जीवन में लाभ हो सकता है?u003c/strongu003e
हां, u003cemu003eलोक व्यवहारu003c/emu003e में दिए गए आचरण के सिद्धांत पेशेवर जीवन में भी सफल होने में मददगार हैं, क्योंकि इसमें पेशेवर शिष्टाचार पर विशेष ध्यान दिया गया है।
u003cstrongu003eक्या यह पुस्तक समाज में बेहतर संबंध बनाने में सहायक है?u003c/strongu003e
हां, यह पुस्तक समाज में सम्मानजनक और सफल संबंध बनाने के लिए आवश्यक नीतियों और सिद्धांतों का ज्ञान प्रदान करती है।