जीवन की इस आपाधापी में आदमी को तोड़ने के लिए, उस के रचनाकार को मारने के लिए अनेक तत्व और कारक उपस्थित हैं। पत्रकारिता भी उन में से एक कारक है। फिर जब सामाजिक, राजनीतिक और आपराधिक ख़बरें लिखते रहने के बाद भी अगर पत्रकार के मन में कहानी लिखने की लालसा और पिपासा फिर भी शेष रह जाती है और कि वह कहानियां भी लिखता रहता है तो ज़रूर कुछ ख़ास बात होती है।
यक़ीन है कि लखनऊ के इन 21 पत्रकारों की कहानियां आप को एक नए आलोक में ले जाएंगी। कहानियों की एक नई दृष्टि और नए स्वाद से परिचित करवाएंगी। नई ज़मीन पर नई इबारत लिखती हुई। हां, कहानियों का क्रम लेखकों के जन्म के हिसाब से दिया गया है।
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जीवन की इस आपाधापी में आदमी को तोड़ने के लिए, उस के रचनाकार को मारने के लिए अनेक तत्व और कारक उपस्थित हैं। पत्रकारिता भी उन में से एक कारक है। फिर जब सामाजिक, राजनीतिक और आपराधिक ख़बरें लिखते रहने के बाद भी अगर पत्रकार के मन में कहानी लिखने की लालसा और पिपासा फिर भी शेष रह जाती है और कि वह कहानियां भी लिखता रहता है तो ज़रूर कुछ ख़ास बात होती है।
यक़ीन है कि लखनऊ के इन 21 पत्रकारों की कहानियां आप को एक नए आलोक में ले जाएंगी। कहानियों की एक नई दृष्टि और नए स्वाद से परिचित करवाएंगी। नई ज़मीन पर नई इबारत लिखती हुई। हां, कहानियों का क्रम लेखकों के जन्म के हिसाब से दिया गया है।
About the Author
कोई 13 उपन्यास, 13 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 75 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता । सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट, जनसत्ता, नई दिल्ली, स्वतंत्र भारत, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क तथा राष्ट्रीय सहारा लखनऊ और दिल्ली में संपादक, विशेष संवाददाता आदि विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास, कहानियों, कविताओं और गजलों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न, सुमि का स्पेस का अंग्रेजी में, बर्फ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। कुछ कविताओं, गजलों और कहानियों का प्रिया जलतारे द्वारा मराठी में अनुवाद। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण । उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित अन्य अनेक सम्मान मिल चुके हैं।
कोई 13 उपन्यास, 13 कहानी-संग्रह समेत कविता, गजल, संस्मरण, लेख, इंटरव्यू, सिनेमा सहित दयानंद पांडेय की विभिन्न विधाओं में 75 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फत लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर जिले के एक गांव बैदौली में हुआ। वर्ष 1978 से पत्रकारिता । सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट, जनसत्ता, नई दिल्ली, स्वतंत्र भारत, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय समाचार फीचर्स नेटवर्क तथा राष्ट्रीय सहारा लखनऊ और दिल्ली में संपादक, विशेष संवाददाता आदि विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे दयानंद पांडेय के उपन्यास, कहानियों, कविताओं और गजलों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न, सुमि का स्पेस का अंग्रेजी में, बर्फ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। कुछ कविताओं, गजलों और कहानियों का प्रिया जलतारे द्वारा मराठी में अनुवाद। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान क्रमशः लोहिया साहित्य सम्मान और साहित्य भूषण । उत्तर प्रदेश कर्मचारी संस्थान द्वारा साहित्य गौरव । लोक कवि अब गाते नहीं उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान सहित अन्य अनेक सम्मान मिल चुके हैं।
Additional information
Author | Dayanand Pandey |
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ISBN | 9789359648040 |
Pages | 192 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | |
ISBN 10 | 9359648043 |
SKU: 9789359648040
Categories: Diamond Books, Fiction, Short Stories