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दुर्याेधन हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रें में सबसे बड़ा पुत्र था। जब पाण्डु की पत्नी कुन्ती को पहले संतान हो गई और उसे माँ बनने का सुऽ मिल गया, तब गांधारी को यह देऽकर बड़ा दुःऽ हुआ कि अब उसका पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं बन पाएगा। यह सोचकर उसने अपने गर्भ पर प्रहार करके उसे नष्ट करने की चेष्टा की। गांधारी के इस कार्य से उसका गर्भपात हो गया। महर्षि व्यास ने गांधारी के गर्भ को एक सौ एक भागों में बाँट कर घी से भरे घड़ों में रऽवा दिया, जिससे सौ कौरव पैदा हुए। सबसे पहले घड़े से जो शिशु प्राप्त हुआ था, उसका नाम दुर्याेधन रऽा गया। दुर्याेधन स्वभाव से बड़ा ही हठी और दुष्ट था। वह पाण्डवों को सदैव नीचा दिऽाने का प्रयत्न करता और उनसे ईर्ष्या रऽता था। उसके दुष्ट स्वभाव के कारण ही ‘महाभारत’ का युद्ध हुआ।
Author | Dr. Vinay |
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ISBN | 9789352967841 |
Pages | 184 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9352967844 |
दुर्याेधन हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रें में सबसे बड़ा पुत्र था। जब पाण्डु की पत्नी कुन्ती को पहले संतान हो गई और उसे माँ बनने का सुऽ मिल गया, तब गांधारी को यह देऽकर बड़ा दुःऽ हुआ कि अब उसका पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं बन पाएगा। यह सोचकर उसने अपने गर्भ पर प्रहार करके उसे नष्ट करने की चेष्टा की। गांधारी के इस कार्य से उसका गर्भपात हो गया। महर्षि व्यास ने गांधारी के गर्भ को एक सौ एक भागों में बाँट कर घी से भरे घड़ों में रऽवा दिया, जिससे सौ कौरव पैदा हुए। सबसे पहले घड़े से जो शिशु प्राप्त हुआ था, उसका नाम दुर्याेधन रऽा गया। दुर्याेधन स्वभाव से बड़ा ही हठी और दुष्ट था। वह पाण्डवों को सदैव नीचा दिऽाने का प्रयत्न करता और उनसे ईर्ष्या रऽता था। उसके दुष्ट स्वभाव के कारण ही ‘महाभारत’ का युद्ध हुआ।