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“Mai Likhta To Aise Likhta : (मैं लिखता तो ऐसे लिखता : कविता संग्रह) “

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ISBN10-9389807425

हिंसक बनाए जा रहे आज के माहौल में और खास तौर से दलितों, स्त्रियों, बच्चों और सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए अमानवीय होते जा रहे माहौल में कविता की भूमिका और कवि की भूमिका अलग-अलग क्यों होती जा रही है? प्रेम ही नहीं पर्यावरण को लेकर कवि का ऐक्टिविज्म और कविता का ऐक्टिविज्म अलग-अलग क्यों है? कविता जन के लिए और कवि अभिजन के लिए! गालिब का शेर है-‘गो मेरे शेर हैं खवास पसंद, मेरी गुफ्तगू अवाम से है।’
यह आज के कवि की पर्दादारी है या पहरेदारी?
मूल्यांकन की तात्कालिकता और कविता की तात्कालिकता में कौन अधिक खतरनाक है?

Additional information

Author

Devendra Arya

ISBN

9789389807424

Pages

80

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/Mai-Likhta-Aise–/dp/9389807425/ref=sr_1_1?dchild=1&keywords=9789389807424.&qid=1627899081&sr=8-1

ISBN 10

9389807425

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