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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं – ओशो

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ओशो कहते हैं – ‘मैं मृत्‍यु सिखाता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं जीवन का विरोधी हूं।’ उनके लिए जीवन और मृत्‍यु के भय से त्रस्‍त लोगों ने भाग-भागकर जीवन के पलड़े में घुसना और उसी में सवार हो जाना अपना लक्ष्‍य बना लिया। नतीजा यह हुआ कि जीवन का पल फिर निसर्ग को उस संतुलन को ठीक करने के लिए आगे आना होता है इससे आपको मृत्‍यु और अधिक भयकारी लगने लगती है। मृत्‍यु रहस्‍यमय हो जाती है। मृत्‍यु के इसी रहस्‍य को यदि मनुष्‍य समझ ले तो जीवन सफल हो जाए। जीवन के मोह से चिपटना कम हो जाए तो अपराध कम हों। मृत्‍यु से बचने के लिए मनुष्‍य ने क्‍या-क्‍या अपराध किए है। इसे अगर जान लिया जाए तो जीवन और मृत्‍यु का पलड़ा बराबर लगने लगे। इसलिए जब ओशो कहते हैं कि ‘मैं मृत्‍यु सिखाता हूं’ तो लगता है जीवन का सच्‍चा दर्शन तो इस व्‍यक्ति ने पकड़ रखा है, उसी के नजदीक, उसी के विचारों के करीब आपको यह पुस्‍तक ले जाती है। जीवन को सहज, आनंद, मुक्ति और स्‍वच्‍छंदता के साथ जीना है तो इसके लिए आपको मृत्‍यु को जानकर उसके रहस्‍य को समझकर ही चलना होगा। मृत्‍यु को जानना ही जीवन का मर्म पाना है। मृत्‍यु के घर से होकर ही आप सदैव जीवित रहते हैं। उसका आलिंगन जीवन का चरम लक्ष्‍य बना लेने पर मृत्‍यु हार जाती है। इसी दृष्टि हार जाती है। इसी दृष्टि से ओशो की यह पुस्‍तक अर्थवान है।

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं – ओशो
350.00 Original price was: ₹350.00.349.00Current price is: ₹349.00.

Main Mirtyu Sikhata Hoon

  1. पुस्तक का परिचय:
    • मैं मृत्यु सिखाता हूं ओशो की एक अनूठी पुस्तक है जो जीवन और मृत्यु के गहन रहस्यों को उजागर करती है।
    • यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है जो जीवन और मृत्यु की वास्तविकता को समझने के लिए ओशो की शिक्षाओं में गहराई से उतरना चाहते हैं।
  2. मृत्यु का अर्थ और भय:
    • ओशो इस पुस्तक में मृत्यु के भय और उसके अर्थ पर चर्चा करते हैं, और कैसे मृत्यु को स्वीकार करने से जीवन में नई दृष्टि प्राप्त होती है।
    • पाठकों को मृत्यु के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे जीवन को और गहराई से समझ सकते हैं।
  3. जीवन और मृत्यु के बीच संबंध:
    • पुस्तक में ओशो बताते हैं कि कैसे जीवन और मृत्यु एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को समझे बिना जीवन को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता।
    • यह पुस्तक पाठकों को जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है।
  4. मृत्यु को साक्षात्कार कैसे बनाएं:
    • ओशो की शिक्षाएं बताती हैं कि मृत्यु को एक साक्षात्कार के रूप में कैसे देखा जा सकता है, न कि एक अंत के रूप में।
    • पुस्तक में बताए गए ध्यान और प्रायोगिक विधियों के माध्यम से पाठक मृत्यु के सत्य का अनुभव कर सकते हैं।
  5. अध्यात्मिक विकास और मृत्यु:
    • ओशो मृत्यु को अध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, और इस पुस्तक में वे बताते हैं कि कैसे मृत्यु का सही ज्ञान आत्म-विकास में सहायक हो सकता है।
    • यह पुस्तक पाठकों को अध्यात्मिकता की गहराइयों में ले जाती है।
  6. ओशो की शिक्षाओं का महत्व:
    • ओशो की शिक्षाएं उन लोगों के लिए अनमोल हैं जो जीवन के गहन अर्थों को समझना चाहते हैं।
    • पुस्तक का अध्ययन करने से पाठकों को जीवन और मृत्यु के प्रति उनकी सोच में बदलाव आएगा और उन्हें नई दृष्टि मिलेगी।
  7. निष्कर्ष:
    • मैं मृत्यु सिखाता हूं ओशो की उन महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है जो जीवन और मृत्यु के रहस्यों को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती है।
    • पाठकों को इस पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रेरित करें, जिससे वे जीवन और मृत्यु के सत्य को समझ सकें।

FAQs:

  • ओशो की पुस्तक “मैं मृत्यु सिखाता हूं” किस बारे में है?
    • ओशो की “मैं मृत्यु सिखाता हूं” जीवन और मृत्यु के गहन अवधारणाओं पर आधारित है। यह पुस्तक मृत्यु को एक अंत के रूप में नहीं, बल्कि जीवन का एक प्राकृतिक और आवश्यक हिस्सा मानने की बात करती है। ओशो के माध्यम से पाठकों को यह समझने का अवसर मिलता है कि मृत्यु को जागरूकता के साथ स्वीकार करना जीवन की गहरी समझ और सराहना की ओर ले जाता है।

    मृत्यु के भय को कैसे समझा जा सकता है?

    • ओशो के अनुसार, मृत्यु का भय अज्ञानता और आसक्ति से उत्पन्न होता है। इस पुस्तक में वे बताते हैं कि मृत्यु के वास्तविक स्वरूप को समझकर और इसे जीवन के चक्र का हिस्सा मानकर इस भय को दूर किया जा सकता है। ओशो ध्यान की विधियाँ और अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जो मृत्यु के भय को स्वीकृति और शांति में बदलने में मदद करती हैं।

    ओशो के अनुसार जीवन और मृत्यु के बीच क्या संबंध है?

    • ओशो सिखाते हैं कि जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। “मैं मृत्यु सिखाता हूं” में वे बताते हैं कि बिना मृत्यु को समझे, जीवन को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता। उनका मानना है कि जीवन की गहराई और अर्थ मृत्यु की जागरूकता से ही आता है, जिससे हर क्षण कीमती हो जाता है।

    ओशो की शिक्षाओं में मृत्यु का क्या महत्व है?

    • ओशो के दर्शन में, मृत्यु एक अंत नहीं बल्कि एक परिवर्तन, एक नवीकरण की प्रक्रिया है। वे इसे एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखते हैं, जिसे जागरूकता और स्पष्टता के साथ अपनाया जाना चाहिए। “मैं मृत्यु सिखाता हूं” में बताया गया है कि मृत्यु आत्म-साक्षात्कार का एक अंतिम क्षण हो सकता है, जो जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति की ओर ले जाता है।

    इस पुस्तक से मुझे क्या सीखने को मिलेगा?

    • “मैं मृत्यु सिखाता हूं” से आपको मृत्यु को जीवन के एक आवश्यक पहलू के रूप में स्वीकार करने और समझने का गहरा ज्ञान मिलेगा। पाठक मृत्यु से जुड़े भय को छोड़ना, अधिक जागरूक और अर्थपूर्ण जीवन जीना, और उस संक्रमण के लिए आध्यात्मिक रूप से तैयार होना सीखेंगे जिसे मृत्यु दर्शाती है। यह पुस्तक ध्यान की व्यावहारिक तकनीकों के माध्यम से इन अंतर्दृष्टियों को रोजमर्रा के जीवन में शामिल करने में भी मदद करती है।

Additional information

Author

Osho

ISBN

8171824099

Pages

192

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171824099