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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं – (Main Mirtyu Sikhata Hoon)-ओशो

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मुझे कहा गया है कि मैं जीवन और मृत्यु के संबंध में बोलूं। यह असंभव है बताना। प्रश्न तो है सिर्फ जीवन का और मृत्यु जैसी कोई चीज़ ही नहीं है। जीवन ज्ञात होता है, तो जीवन रह जाता है। और जीवन ज्ञात नहीं होता, तो सिर्फ मृत्यु रह जाती है। मनुष्य मृत्यु नहीं है, मनुष्य अमृत है। समस्त जीवन अमृत है। लेकिन हम अमृत की ओर आंख ही नहीं उठाते। हम जीवन की तरफ, जीवन की दिशा में खोज ही नहीं करते हैं, एक कदम भी नहीं उठाते। जीवन से रह जाते हैं अपरिचित और इसलिए मृत्यु से भयभीत प्रतीत होते हैं। इसलिए प्रश्न जीवन और मृत्यु का नहीं है, प्रश्न है सिर्फ जीवन का।

ISBN10-8171824099

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - ओशो-
मैं मृत्‍यु सिखाता हूं – (Main Mirtyu Sikhata Hoon)-ओशो
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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं-ओशो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं जीवन का विरोधी हूं।’ उनके लिए जीवन और मृत्‍यु के भय से त्रस्‍त लोगों ने भाग-भागकर जीवन के पलड़े में घुसना और उसी में सवार हो जाना अपना लक्ष्‍य बना लिया। नतीजा यह हुआ कि जीवन का पल फिर निसर्ग को उस संतुलन को ठीक करने के लिए आगे आना होता है इससे आपको मृत्‍यु और अधिक भयकारी लगने लगती है। मृत्‍यु रहस्‍यमय हो जाती है। मृत्‍यु के इसी रहस्‍य को यदि मनुष्‍य समझ ले तो जीवन सफल हो जाए। जीवन के मोह से चिपटना कम हो जाए तो अपराध कम हों। मृत्‍यु से बचने के लिए मनुष्‍य ने क्‍या-क्‍या अपराध किए है। इसे अगर जान लिया जाए तो जीवन और मृत्‍यु का पलड़ा बराबर लगने लगे। इसलिए जब ओशो कहते हैं कि ‘मैं मृत्‍यु सिखाता हूं’ तो लगता है जीवन का सच्‍चा दर्शन तो इस व्‍यक्ति ने पकड़ रखा है, उसी के नजदीक, उसी के विचारों के करीब आपको यह पुस्‍तक ले जाती है। जीवन को सहज, आनंद, मुक्ति और स्‍वच्‍छंदता के साथ जीना है तो इसके लिए आपको मृत्‍यु को जानकर उसके रहस्‍य को समझकर ही चलना होगा। मृत्‍यु को जानना ही जीवन का मर्म पाना है। मृत्‍यु के घर से होकर ही आप सदैव जीवित रहते हैं। उसका आलिंगन जीवन का चरम लक्ष्‍य बना लेने पर मृत्‍यु हार जाती है। इसी दृष्टि हार जाती है। इसी दृष्टि से ओशो की यह पुस्‍तक अर्थवान है।

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - ओशो
मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - (Main Mirtyu Sikhata Hoon)-ओशो

समाधि में साधक मरता है स्वयं, और चूंकि वह स्वयं मृत्यु में प्रवेश करता है, वह जान लेता है इस सत्य को कि मैं हूं अलग, शरीर है अलग। और एक बार यह पता चल जाए कि मैं हूं अलग, मृत्यु समाप्त हो गई। और एक बार यह पता चल जाए कि मैं हूं अलग, और जीवन का अनुभव शुरू हो गया। मृत्यु की समाप्ति और जीवन का अनुभव एक ही सीमा पर होते हैं, एक ही साथ होते हैं। जीवन को जाना कि मृत्यु गई, मृत्यु को जाना कि जीवन हुआ। अगर ठीक से समझें तो ये एक ही चीज को कहने के दो ढंग हैं। ये एक ही दिशा में इंगित करने वाले दो इशारे हैं।”—ओशो मृत्यु से अमृत की ओर ले चलने वाली इस पुस्तक के कुछ विषय बिंदु:

  • मृत्यु और मृत्यु-पार के रहस्य
  • सजग मृत्यु के प्रयोग
  • निद्रा, स्वप्न, सम्मोहन व मूर्च्छा के पार — जागृति
  • सूक्ष्म शरीर, ध्यान व तंत्र-साधना के गुप्त आयाम
मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - ओशो
मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - (Main Mirtyu Sikhata Hoon)-ओशो

ओशो के बारे में रोचक तथ्य

ओशो एक उच्च कोटि के वक्ता थे। उनका बोलने पर इतना आत्मविश्वास था की एक बार जो बोल दिया सो बोला दिया वही आखिरी होगा।

ओशो ने लगभग-लगभग हर एक विषय पर बात/प्रवचन दिए हैं। यदि साहित्यिक लेखिकी को छोड़ दें तो भारत में सबसे ज्यादा किताबें ओशो की बिकती हैं। ओशो सेक्सुअलिटी पर खुले रूप से बातें किया करते थे और वो सेक्स को लेकर बड़े स्वतंत्र होकर बातें किया करते थे ।

ओशो एक बहुत ही गजब के तर्क शास्त्री थे। वह किसी भी बात को सही और गलत साबित करने के पूरी क्षमता रखते थे।

ओशो बचपन से ही लक्सरी लाइफ जीने के आदि रहे थे।

ओशो को अमीरों का गुरु कहा जाता है और खुद भी उन्होंने अपने इंटरव्यूज मे बार-बार जिक्र किया है की वो अमीरों के गुरु हैं। आपको पता है ओशो के पास 90 रॉयल्स रोल्स कारें थीं।

ओशो की म्रत्यु आज भी रहस्य है। कहा तो ये भी जाता है की उन्हीं के करीबी शिष्यों ने उनकी हत्या को अंजाम दिया था।

इसके सबूत भी मिलते हैं क्योंकि उनकी हत्या शिष्यों के बीच हुई और उन्होंने कहा कि गुरु जी ने देह त्याग दी।

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - ओशो
मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - (Main Mirtyu Sikhata Hoon)-ओशो

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं’ का मुख्य संदेश क्या है?

यह पुस्तक मृत्यु को एक अंत के बजाय एक नए जीवन के आरंभ के रूप में देखने का दृष्टिकोण प्रदान करती है।

क्या इस पुस्तक में ओशो के व्यक्तिगत अनुभव शामिल हैं?

हां, ओशो अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हैं, जिससे पाठकों को गहराई से समझने में मदद मिलती है।

क्या यह पुस्तक जीवन में मानसिक शांति पाने में मदद कर सकती है?

हां, यह पुस्तक मृत्यु को समझने के बाद जीवन को और भी मूल्यवान बनाने की प्रेरणा देती है।

क्या इस पुस्तक को पढ़ना सभी के लिए उपयुक्त है?

हां, यह पुस्तक सभी के लिए उपयुक्त है, चाहे वे युवा हों या बुजुर्ग।

क्या यह पुस्तक आत्म-खोज के लिए सहायक है?

हां, यह पुस्तक आत्म-खोज की यात्रा में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करती है।

Additional information

Weight 410 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.91 cm
Author

Osho

ISBN

8171824099

Pages

192

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171824099