Management Guru Kabir (मैनेजमेंट गुरु कबीर)

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कबीर एक ऐसा नाम है जिसे उच्चारित करते ही व्यक्ति की आँखों के समक्ष समस्त बंधनों से मुक्त, सभी भेदभावों से परे और सम्पूर्ण दोषों का दमन कर चुके एक ऐसे संत, भक्त, चिन्तक, विचारक और समाज सुधारक की छवि उभर आती है जो निर्विवाद रूप से ज्ञान और भक्ति का एक सर्वकालिक प्रतिनिधि है। एक व्यक्ति जो अपने आलोचकों को आदरपूर्वक अपने घर आमंत्रित करता हो और जिसने ढाई अक्षर के माध्यम से भक्ति के ज्ञानमार्ग को प्रशस्त किया हो, उसके व्यक्तित्व की विराटता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। इस पुस्तक के सृजन का उद्देश्य कबीर के विचारों और उपदेशों के माध्यम से व्यक्ति के सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन तथा कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रबंधन गुणों को विश्लेषित करने और समझने का प्रयत्न करना है। कबीर इतने विराट थे कि किसी एक अकेली पुस्तक में नहीं समा सकते। अब तक कितनी ही पुस्तकें उन पर लिखी जा चुकी हैं। मात्र उनके आराध्य ‘निर्गुण राम’ की ही यदि कबीर की दृष्टि से व्याख्या की जाए तो एक बृहद ग्रन्थ बन जाएगा। फिर भी इस पुस्तक में कबीर के जीवन और उनके विचारों का विस्तृत रेखांकन देखने को अवश्य मिलेगा।

 

About the Author
प्रताप नारायण सिंह
(जन्म-उत्तर प्रदेश)
एक लोकप्रिय साहित्यकार, जिन्होंने विविध विधाओं में सृजन किया है और जिनकी अब तक की प्रकाशित सभी कृतियाँ पाठकों के द्वारा बहुत ही पसंद की गई हैं। इनके उपन्यास और खण्डकाव्य बहुत ही लोकप्रिय रहे। प्रस्तुत पुस्तक ‘मैनेजमेंट गुरु कबीर’ चिंतन और शिक्षा से संबंधित है।
सभी प्रकाशित कृतियाँ
1. उपन्यास – ‘धनंजय, ‘अरावली का मार्तण्ड’, ‘युग पुरुष : सम्राट विक्रमादित्य’, ‘योगी का रामराज्य’, ‘जिहाद’।
2. कहानी संग्रह- ‘राम रचि राखा’।
3. काव्य- ‘सीताः एक नारी’ (खंडकाव्य), ‘बस इतना ही करना’ (काव्य-संग्रह)।
4. वैचारिक और शिक्षा- ‘मैनेजमेंट गुरु कबीर’।
पुरस्कार- ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’, हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश।

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Management Guru Kabir (मैनेजमेंट गुरु कबीर)
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कबीर एक ऐसा नाम है जिसे उच्चारित करते ही व्यक्ति की आँखों के समक्ष समस्त बंधनों से मुक्त, सभी भेदभावों से परे और सम्पूर्ण दोषों का दमन कर चुके एक ऐसे संत, भक्त, चिन्तक, विचारक और समाज सुधारक की छवि उभर आती है जो निर्विवाद रूप से ज्ञान और भक्ति का एक सर्वकालिक प्रतिनिधि है। एक व्यक्ति जो अपने आलोचकों को आदरपूर्वक अपने घर आमंत्रित करता हो और जिसने ढाई अक्षर के माध्यम से भक्ति के ज्ञानमार्ग को प्रशस्त किया हो, उसके व्यक्तित्व की विराटता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। इस पुस्तक के सृजन का उद्देश्य कबीर के विचारों और उपदेशों के माध्यम से व्यक्ति के सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन तथा कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रबंधन गुणों को विश्लेषित करने और समझने का प्रयत्न करना है। कबीर इतने विराट थे कि किसी एक अकेली पुस्तक में नहीं समा सकते। अब तक कितनी ही पुस्तकें उन पर लिखी जा चुकी हैं। मात्र उनके आराध्य ‘निर्गुण राम’ की ही यदि कबीर की दृष्टि से व्याख्या की जाए तो एक बृहद ग्रन्थ बन जाएगा। फिर भी इस पुस्तक में कबीर के जीवन और उनके विचारों का विस्तृत रेखांकन देखने को अवश्य मिलेगा।

 

About the Author
प्रताप नारायण सिंह
(जन्म-उत्तर प्रदेश)
एक लोकप्रिय साहित्यकार, जिन्होंने विविध विधाओं में सृजन किया है और जिनकी अब तक की प्रकाशित सभी कृतियाँ पाठकों के द्वारा बहुत ही पसंद की गई हैं। इनके उपन्यास और खण्डकाव्य बहुत ही लोकप्रिय रहे। प्रस्तुत पुस्तक ‘मैनेजमेंट गुरु कबीर’ चिंतन और शिक्षा से संबंधित है।
सभी प्रकाशित कृतियाँ
1. उपन्यास – ‘धनंजय, ‘अरावली का मार्तण्ड’, ‘युग पुरुष : सम्राट विक्रमादित्य’, ‘योगी का रामराज्य’, ‘जिहाद’।
2. कहानी संग्रह- ‘राम रचि राखा’।
3. काव्य- ‘सीताः एक नारी’ (खंडकाव्य), ‘बस इतना ही करना’ (काव्य-संग्रह)।
4. वैचारिक और शिक्षा- ‘मैनेजमेंट गुरु कबीर’।
पुरस्कार- ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’, हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश।

Additional information

Author

Pratap Narayan Singh

ISBN

9789355995919

Pages

182

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355995911

Flipkart

https://www.flipkart.com/management-guru-kabir/p/itm08d744d6bceec?pid=9789355995919

ISBN 10

9355995911