आधुनिक व्यवस्थाओं में नारी के जीवन को अधिक संघर्षमय बना दिया है, दुर्भाग्य से आज समाज व परिवार उसके इस चुनौतीपूर्ण जीवन के प्रति उतना संवेदनशील नहीं दिखता।
नारी का यही संघर्ष मेरी कहानियों की मुख्य विषय वस्तु है। मेरा मानना है कि प्रत्येक स्त्री में संघर्ष करने की एक ईश्वर प्रदत्त शक्ति होती है, जो उसे हारने नहीं देती। मेरी कहानियों के पात्र मुखर हैं। वे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाते हैं। मेहनत करके अपने जीवन को सुधारने की क्षमता रखते हैं, तथा उनका अपना एक वजूद है।
वे जीवन अपनी शर्तों पर तो जीते हैं परन्तु अपने संस्कार और मर्यादायें नहीं भूलते। मर्यादाओं के भीतर रहकर संघर्ष करना और जीवन में आगे बढ़ना उनका लक्ष्य है। मानवीय सम्बन्ध और सम्वेदानाओं को उजागर करती हुई कुछ कहानियाँ…
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शिवानी चतुर्वेदी एक सफल गृहणी ही नहीं बल्कि एक सफल लेखिका भी हैं। यर्थातवादी जीवन को गहनता महसूस करके उन्होंने अपने लेखन को मानवीय बनाया है। शिवानी चतुर्वेदी का समाज को देखने का यर्थातवादी नजरिया ही उन्हें समकालीन कथाकारों में एक अलग पहचान दिलाता है।