बोली, भाषा और लिपि के समुचित विकास के उपरांत साहित्य सृजन की कल्पना मानव मस्तिष्क में आंदोलित हुई और हमें मिला ग्रंथों का जखीरा । अध्ययन, अध्यापन और अभिलेखों के उजागर होने के बाद दुनिया में अनेक भाषाओं का विकास हुआ। समय-समय पर संचार के अनेक माध्यम चलन में आए। आज कुछ जीवित हैं और कुछ पुस्तकों की शोभा बन गए। भाषा और मीडिया के इस विकास क्रम में अनेक उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपने सदस्यों को एक अवसर प्रदान किया कि वह भाषा और मीडिया को किस दृष्टिकोण से देखते हैं उसे अपने अनुभव के आधार पर प्रस्तुत करें। सदस्यों ने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय आधार पर भाषा और मीडिया पर अनेक अनुभव सांक्षा किए। सभी लेख अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील हैं। विद्वानों के साथ-साथ यह पुस्तक आम पाठकों सहित मीडिया के विद्यार्थियों एवं मीडिया में कार्यरत सभी मीडियाकर्मियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
About the Author
डॉ. शिवशंकर अवस्थी : राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा जगत में राजनीति विज्ञान के सुप्रसिद्ध प्रवक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध पीजी डी ए वी महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हैं। राजनीति विज्ञान के साथ-साथ हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के वर्तमान में महासचिव और इंडियन रेप्रोग्राफिक राइट्स आर्गेनाईजेशन के उपाध्यक्ष हैं। दस शैक्षणिक पुस्तकों के अतिरिक्त आपने साहित्य की विभिन्न डॉ. शिवशंकर अवस्थी विधाओं में तेरह पुस्तकों की रचना की है। अनेक पुस्तकों का संपादन किया है। ‘तुम्हें क्या मालूम’ आपका काव्य संग्रह है। समय-समय पर विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कथा, कविताएं इत्यादि प्रकाशित होते रहते हैं। आपने अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किए हैं और आपके द्वारा लिखित अनेक धारावाहिक, टेलीफिल्म और वृत्तचित्र दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुके हैं। जर्मनी, फ्रांस, सऊदी अरब सहित अनेक देशों का भ्रमण करने वाले डॉ. शिवशंकर अवस्थी हिंदी अकादमी दिल्ली सहित अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संगठनों में विभिन्न पदों पर सुशोभित हुए हैं।