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Meghdoot (मेघदूत)

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पुस्तक के बारे में

कालिदास का ‘मेघदूत’ यद्यपि छोटा-सा काव्य-ग्रंथ है, किन्तु इसके माध्यम से प्रेमी के विरह का जो वर्णन उन्होंने किया है उसका उदाहरण अन्यत्र मिलना असंभव है। न केवल संस्कृत में अपितु कालान्तर में उर्दू कवियों ने भी इस पर अपनी लेखनी चलायी है। किसी उर्दू कवि ने कहा है-

तौबा की थी, मैं न पियूंगा कभी शराब।

बादल का रंग देख नीयत बदल गयी

कालिदास ने जब आषाढ़ के प्रथम दिन आकाश पर मेघ उमड़ते देखे तो उनकी कल्पना ने उड़ान भरकर उनसे यक्ष और मेघ के माध्यम से विरह- व्यथा का वर्णन करने के लिए ‘मेघदूत’ की रचना करवा डाली और कालिदास की यह कल्पना उनकी अनन्य कृति बन गयी।

मेघदूत का सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व क्या है?

मेघदूत भारतीय काव्यशास्त्र में अपनी कल्पनाशीलता, भावनाओं की गहराई और प्रकृति का सुंदर चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। इसमें प्रेम, विरह, और संदेशवाहन के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त किया गया है।

क्या मेघदूत में प्रकृति का कोई विशेष चित्रण किया गया है?

हाँ, मेघदूत में प्रकृति का अत्यधिक सुंदर चित्रण किया गया है। कालिदास ने प्राकृतिक दृश्यों का जीवंत और विस्तृत वर्णन किया है, जैसे मेघ, नदी, पर्वत, और वन्य जीवन।

क्या मेघदूत को केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से पढ़ा जा सकता है?

मेघदूत को न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी पढ़ा जा सकता है। इसमें प्रेम, त्याग, और शांति के संदेश हैं, जो जीवन की गहरी समझ को बढ़ाते हैं।

मेघदूत का अध्ययन क्यों किया जाता है?

मेघदूत का अध्ययन भारतीय साहित्य, संस्कृत साहित्य, और प्रेमकाव्य के क्षेत्र में किया जाता है। यह काव्य कालिदास की उत्कृष्टता का उदाहरण है और इसमें व्यक्त भावनाएं आज भी पाठकों के दिलों को छूती हैं।

मेघदूत की रचना कब हुई थी?

मेघदूत की रचना लगभग 5वीं सदी में हुई थी, जब कालिदास अपने साहित्यिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध हुए थे। इसे संस्कृत साहित्य का अद्भुत उदाहरण माना जाता है।

Additional information

Weight 248 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.27 cm
Author

Ashok Kaushik

ISBN

8171829473

Pages

216

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171829473

मेघदूत कालिदास द्वारा रचित एक अद्वितीय संस्कृत काव्य है, जो प्रेम और विछोह की गहरी भावना को व्यक्त करता है। इसमें यक्ष और उसकी पत्नी के बीच संवाद के माध्यम से दर्द और प्रेम की सजीव तस्वीर चित्रित की गई है। इस काव्य में यक्ष को अपने प्रिय से बिछड़े हुए एक साल का समय पार करना होता है, और वह एक मेघ (बादल) को संदेश भेजता है। यह काव्य भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर है, जो कालजयी है।
ISBN10-8171829473

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