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मेरा मुझमें कुछ नहीं-Mera Mujh Mein Kuchh Nahin by osho

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कबीर ने कहा कि ‘ज्यों कि त्यों धर दीन्हीं चदरिया, खूब जतन से ओढ़ी कबीर।’ तो कबीर कहते हैं कि ओढ़ी तो, पर खूब जतन से ओढ़ी।
संन्यासी वह है, जो ओढ़े ही न। क्योंकि ओढ़ने में डर है, कहीं चदरिया खराब न हो जाए! और गृहस्थ वह है, जो डट कर ओढ़े; चाहे फटे, चाहे गंदी हो, कुछ भी हो जाए। और कबीर ने ओढ़ी — ‘खूब जतन से ओढ़ी रे चदरिया।’

लेकिन जतन से ओढ़ी। यह ‘जतन’ शब्द बड़ा अद्भुत है। कृष्णमूर्ति जिसको ‘अवयरनेस’ कहते हैं, वही है जतन। बड़े होश से, बड़े प्रयत्न से, बड़ी जागरूकता से ओढ़ी। और — ‘ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया’। और जब परमात्मा के पास वापस लौटने लगे, तो उसे वैसी ही लौटा दी, जैसी उसने दी थी — और ओढ़ी भी। ऐसा भी नहीं कि बिना ओढ़े, नंगे बैठे रहे।

कबीर यह कह रहे हैं कि गृहस्थ भी रहे और संन्यासी भी रहे। रहे संसार में और अद्भुत रहे — कमलवत।

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:

  • नीति और धर्म में क्या भेद है?
  • परमात्मा है क्या?
  • सुख से वैराग्य का जन्म होता है। क्यों?
  • असहाय अवस्था का अर्थ क्या है?
  • ऊंट किस करवट बैठे — विधायक या निषेधात्मक?
  • ज्ञानी का मार्ग और भक्त के मार्ग में क्या सर्वथा भिन्न है?

ISBN10-9351656349

मेरा मुझमें कुछ नही by osho
मेरा मुझमें कुछ नहीं-Mera Mujh Mein Kuchh Nahin by osho
300.00 Original price was: ₹300.00.299.00Current price is: ₹299.00.

मेरा मुझमें कुछ नहीं – ओशो द्वारा आत्मा का गहन सत्य, शून्यता, और अहंकार के गहरे सिद्धांतों पर आधारित एक गहन पुस्तक है। इस पुस्तक में ओशो बताते हैं कि अहंकार का त्याग ही सच्चे आत्मज्ञान की दिशा में पहला कदम है। ओशो के अनुसार, जब व्यक्ति “मेरा मुझमें कुछ नहीं” की भावना को समझता है, तो वह अपनी सीमाओं से मुक्त होकर शून्यता की अवस्था को प्राप्त करता है।

ओशो अपने सहज और गहरे विचारों के माध्यम से बताते हैं कि आत्मा को समझने के लिए अहंकार को पूरी तरह से त्यागना आवश्यक है। अहंकार वह भ्रम है, जो हमें अपने सच्चे स्वरूप से दूर रखता है। यह पुस्तक पाठकों को आत्मज्ञान, शून्यता, और मुक्त चेतना की ओर प्रेरित करती है और व्यक्ति को सच्ची शांति और आंतरिक शुद्धता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

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About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

ओशो कौन हैं?

ओशो, जिन्हें पहले रजनीश के नाम से जाना जाता था, एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु, मिस्टिक और दार्शनिक थे। वे अपने अपरंपरागत और गहन विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो जीवन, अध्यात्म, प्रेम, ध्यान और अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर आधारित हैं।

मेरा मुझमें कुछ नहीं” किस बारे में है?

मेरा मुझमें कुछ नहीं” आत्म, अहंकार और अस्तित्व के गहन पहलुओं की खोज करता है। ओशो परंपरागत पहचान की धारणाओं को चुनौती देते हैं और अहंकारहीनता के विचार को प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठक आत्म के परे जाकर सच्ची स्वतंत्रता का अनुभव कर सकते हैं।

ओशो क्यों प्रसिद्ध हैं?

ओशो अपने क्रांतिकारी अध्यात्मिक दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें वे पूर्वी अध्यात्म को पश्चिमी दर्शन के साथ मिलाते हैं। धर्म, रिश्ते, राजनीति और आत्म-जागरूकता पर उनके विवादास्पद विचार आज भी लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं।

मेरा मुझमें कुछ नहीं” महत्वपूर्ण क्यों है?

यह पुस्तक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ओशो की शिक्षाओं के मूल में जाकर मानव अवस्था, अहंकार और आध्यात्मिक स्वतंत्रता की यात्रा को समझने में मदद करती है। यह उन लोगों के लिए एक शक्तिशाली मार्गदर्शक है जो अपनी पहचान की सीमाओं से परे जाना चाहते हैं

क्या “मेरा मुझमें कुछ नहीं” ध्यान के लिए उपयोगी है?

हां, यह पुस्तक ध्यान और आंतरिक शांति प्राप्त करने के इच्छुक लोगों के लिए अत्यधिक उपयोगी है। ओशो के विचार ध्यान के महत्व को उजागर करते हैं और अहंकार से परे जाने के मार्ग को समझाते हैं

Additional information

Weight 360 g
Dimensions 21.6 × 14 × 1.7 cm
Author

Osho

ISBN

9789351656340

Pages

152

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351656349