मेरी आत्मकथा, जिसे मूकनायक के नाम से भी जाना जाता है, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा मराठी में लिखी गई एक आत्मकथा है। यह पुस्तक १९३५ में प्रकाशित हुई थी यह पुस्तक डॉ. आंबेडकर के जीवन और अनुभवों का एक क्रमिक वर्णन है, जिसमें उन्होंने जाति व्यवस्था, सामाजिक बहिष्कार और अस्पृश्यता के खिलाफ अपने संघर्षों को उजागर किया है। वे अपनी शिक्षा, विदेश में अध्ययन, कानूनी पेशेवर के रूप में अपना काम, और राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने योगदानों का भी वर्णन करते हैं।
‘मेरी आत्मकथा’ दलित साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना है। यह एक ऐसे व्यक्ति की प्रेरक कहानी है जिसने अत्यधिक विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा प्राप्त की और समाज में सबसे वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह पुस्तक जाति व्यवस्था की भयावहता और सामाजिक न्याय की लड़ाई के महत्व को उजागर करती है।
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डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता माना जाता है। वे एक महान विद्वान, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। दलित समुदाय से आने के बावजूद उन्होंने अथक प्रयासों से उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में दलितों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।प्रारंभिक जीवन:*14 अप्रैल, 1891. आंबेडकर नगर, जिसका भूतपूर्व नाम महूँ था, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित एक नगर है। यहाँ डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था और यह एक ऐतिहासिक छावनी भी है।*शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।शिक्षा और करियर:*उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी गए और अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।*भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत ।*भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान:*भारत के स्वतंत्रता के बाद डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।*उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और इसमें सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान शामिल किए।*भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा और विस्तृत संविधान माना जाता ।सामाजिक सुधार:*डॉ. आंबेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत की।*उन्होंने छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों को शिक्षा और रोजगार के वसर उपलब्ध कराने के लिए काम किया।*उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और दलितों को बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित किया।डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह सिर्फ एक संक्षिप्त परिचय है। आंबेडकर के जीवन और कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए आप उनकी जीवनी पढ़ सकते हैं या उनके बारे में खे गए लेख पढ़ सकते हैं।कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:*डॉ. आंबेडकर ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द अनटचेबल्स’, ‘राइडू’ और ‘बुद्ध और उसका धर्म’ शामिल हैं।*उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संपादन किया।*वे एक कुशल वक्ता थे और उन्होंने कई सार्वजनिक भाषण दिए*आंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है*आंबेडकर ने कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, नमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स शामिल हैं।*डॉ. आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।*उन्हें भारत का संविधान निर्माता माना जाता है।*उनके विचारों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया है।*आज भी दलित समुदाय के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं।