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Meri Geeta in Hindi(मेरी गीता) -In Paperback

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ISBN10-: 9369395032

किताब के बारे में

मेरी गीता एक अनूठा प्रयास है, जो भगवद गीता के ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक गीता के गहरे अर्थों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करती है।

।। कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ।।
यह श्लोक कर्मयोग का सार है। यह हमें बताता है कि हमें अपने कर्मों में लगे रहना चाहिए, लेकिन उसके फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमें कर्मफल के लिए मोहित नहीं होना चाहिए और न ही कर्म करने से डरना चाहिए

गीता में तीन पाप कौन से हैं?

गीता के मुताबिक, काम, क्रोध, और लोभ तीनों पाप नरक के द्वार हैं. इन तीनों को समूल रूप से खत्म करना चाहिए ।

श्री कृष्ण के अनुसार सच्चा प्रेम क्या है?

राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम बिना किसी बंधन के, बिना किसी ईर्ष्या के और बिना किसी उम्मीद के होता है। यह एक ऐसा प्रेम है, जो किसी से भी अपेक्षा नहीं रखता और किसी को भी दुख नहीं पहुंचाता।


गीता के अनुसार मन को वश में कैसे करें?

मन को निरंतर “अभ्यास और वैराग्य” से नियंत्रित किया जा सकता है मन जहां भी और जब भी भटकता है, उसकी चंचल और अस्थिर प्रकृति के कारण, हमें उसे आत्मा के नियंत्रण में वापस लाना चाहिए ।

गीता के अनुसार सबसे पवित्र क्या है?

गीता के मुताबिक, सत्य और स्वधर्म सबसे पवित्र हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि मनुष्य को हमेशा सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि, और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए ।

गीता असफलता के बारे में क्या कहती है?

गीता असफलता का सामना करते हुए भी धैर्य और दृढ़ता की शिक्षा देती है । श्री कृष्ण समभाव बनाए रखने और सफलता और असफलता दोनों को एक ही दिव्य योजना के हिस्से के रूप में देखने की सलाह देते हैं।

Additional information

Weight 0.200 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.6 cm
Author

Dayanand Verma

Pages

248

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books