“ … प्रेम-प्रेम सब कोई कहे , प्रेम न चिन्हे कोये !! “
प्यार , प्रेम , इश्क या मोहब्बत सदियों कितना कुछ लिखा और बोला गया इस पर लेकिन पहली क्लास में विद्या माता की विनती से लेकर 32 साला उम्र की गिनती तक अनगिनत बार प्रेम के अनगिनत रूप-स्वरूप देखें । प्रेम में डूबा, टूटा, प्रेम को जिया उसका जश्न मनाया और सिर्फ इतना जान सका कि प्रेम को जाना नहीं जा सकता इसे सिर्फ जिया जा सकता है ।
हाँ, प्रेम को तलाश करना व्यर्थ है क्योंकि वो तो हमारे हर तरफ बिखरा हुआ है । किसी अनजान मासूम की मुस्कान में तो किसी बुजुर्ग के आशीर्वाद में । आपके पैरो को चाटते टॉमी से लेकर , पीले खिले सरसो के फूल तक । सच तो ये है कि नफ़रत से जकड़ी इस दुनियाँ की बुनियाद ही प्रेम है। जिस दिन इस दुनिया से प्रेम का अंतिम अंश समाप्त हो गया उसी दिन ये दुनिया मरघट में तब्दील हो जायेगी।
नफरत से भरी इस दुनिया मे सबसे अधिक जिस चीज की जरूरत है वह दरअसल प्रेम ही है।
इसलिए “मोहब्बत 24 कैरेट” की कहानियों में सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत है । बिना किसी मिलावट की शुद्ध 24 कैरेट मोहब्बत । 24 कहानियों का ये गुलदस्ता, प्रेम के हर आयाम को न सिर्फ छूता है बल्कि जीता भी है।
ये 24 प्रेम-कहानियाँ महज स्त्री-पुरुष या प्रेमी-प्रेमिका की कहानियाँ भर नहीं हैं बल्कि इसकी हर कहानी का एक अलग रंग है। इनमें अपनी अजन्मी संतान से प्रेम करती माँ से लेकर “गली परांठे वाली” में महकता प्यार भी है साथ ही काशी के ‘मुक्ति-भवन’ में अंतिम साँसों के बीच पनपती मोहब्बत भी है।
कुल मिलाकर ‘मोहब्बत 24 कैरेट’ की 24 कहानियों में सिवाए शुद्ध प्रेम के अलावा कुछ भी नहीं है। इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि इन कहानियों को प्रेम-पत्रों के साथ इंतजार के सोंधे प्रेम से लेकर व्हाट्सएप पर उपजे झटपट प्रेम तक वाली हर पीढ़ी इसलिए पसंद करेगी क्योंकि मोहब्बत का मिजाज और तासीर कभी नहीं बदलती है।
About the Author
मोहब्बत 24 कैरेट मृदुल का तीसरा कहानी संग्रह हैं . इससे पहले मृदुल के दो कहानी संग्रह “ चीनी कितने चम्मच “ एवं “ कानपुर की घातक कथाएँ 1 (आंचलिक कहानी संग्रह ) “ न सिर्फ पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रही बल्कि अब तक चर्चा में हैं । हाल के वर्षों में मृदुल का रुझान रंगमच की तरफ भी रहा हैं । इनके लिखे एवं मंचित कई नाटकों ने दर्शकों को काफी प्रभवित किया है।
कई पुरुस्कारों से नवाजे जा चुकें मृदुल आजकल किस्सों-कहानियों और उपन्यास के अतरिक्त कई सारे ओ.टी.टी. चैनल्स के लिए फ़िल्में और वेबसीरिज लिख रहे हैं । उम्मीद हैं कि जल्द ही इनका लेखन पर्दे पर भी दिखेगा ।