Mohleena : Bhajan, Chalisa Evan Aarti Sangrah (मोहलीना : भजन चालीसा एवं आरती संग्रह)

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मोहलीना (भजन चालीसा एवं आरती संग्रह) स्वर्गीय लीना दूबे की दैनन्दिनी में संकलित भजन, आरती एवं चालीसा का सुन्दर संग्रह है, जो उन्होंने अपनी सुविधार्थ एक दैनन्दिनी में सहेज रखे थे। स्वर्गीय लीना दूबे, अपने सभी कर्त्तव्यों का सम्यक निर्वहन करते हुए, अपने समूह के सदस्यों के साथ, ईश्वर के भजन-कीर्तन के कार्यक्रमों का आयोजन किया करती थीं। इसी उद्देश्य से, उन्होंने अपनी दैनन्दिनी में कुछ प्रचलित भजनों का संकलन भी कर रखा था। उनमें आध्यात्मिक अभिरुचि बाल्यकाल से ही विद्यमान थी। श्रीमद्भागवत के व्याख्यान, आस पास जहाँ कहीं भी होते थे, वे वहाँ पर एक श्रोता के रूप में अवश्य उपस्थित रहती थीं। पुनश्च, श्रीमद्भागवत का सतत अध्ययन, उनके जीवन के कार्यकलापों का एक अभिन्न अंग था। सनातन धर्म के ग्रंथों यथा, श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णुपुराण, शिवपुराण आदि का भी, वे निरन्तर अध्ययन एवं चिन्तन करती रहती थीं। श्री गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित कल्याण पत्रिका के विविध आध्यात्मिक लेखों को नियमित रूप से पढ़कर, उनकी विशद चर्चा व मनन द्वारा, वे जीवनपर्यन्त अध्ययनशील रहीं।
उनके स्वर्गारोहण के उपरान्त, उनकी दैनन्दिनी में सँजोये, सुन्दर भजन व साथ ही मोहक आँचलिक लोक-गीत आदि देखकर, मेरे अन्तर्मन में यह भाव उपजा कि क्यों नहीं इस विशिष्ट और अनमोल संग्रह में, कुछ प्रचलित आ एवं चालीसा जोड़कर इस संग्रह को और उपयोगी बनाया जाए। आशा करता हूँ, यह संग्रह मूलतः सभी के लिए एवं विशेषकर, उन मंडलियों के लिए ज्यादा उपयोगी होगा, जो ईश्वर वन्दना में निरत हैं।

Additional information

Author

Leena Dubey & Mohan Dubey

ISBN

9789359640877

Pages

96

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9359640875

Flipkart

https://www.flipkart.com/mohleena-bhajan-chalisa-evan-aarti-sangrah-hindi/p/itmdfd8b5f916263?pid=9789359640877

ISBN 10

9359640875

मोहलीना (भजन चालीसा एवं आरती संग्रह) स्वर्गीय लीना दूबे की दैनन्दिनी में संकलित भजन, आरती एवं चालीसा का सुन्दर संग्रह है, जो उन्होंने अपनी सुविधार्थ एक दैनन्दिनी में सहेज रखे थे। स्वर्गीय लीना दूबे, अपने सभी कर्त्तव्यों का सम्यक निर्वहन करते हुए, अपने समूह के सदस्यों के साथ, ईश्वर के भजन-कीर्तन के कार्यक्रमों का आयोजन किया करती थीं। इसी उद्देश्य से, उन्होंने अपनी दैनन्दिनी में कुछ प्रचलित भजनों का संकलन भी कर रखा था। उनमें आध्यात्मिक अभिरुचि बाल्यकाल से ही विद्यमान थी। श्रीमद्भागवत के व्याख्यान, आस पास जहाँ कहीं भी होते थे, वे वहाँ पर एक श्रोता के रूप में अवश्य उपस्थित रहती थीं। पुनश्च, श्रीमद्भागवत का सतत अध्ययन, उनके जीवन के कार्यकलापों का एक अभिन्न अंग था। सनातन धर्म के ग्रंथों यथा, श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णुपुराण, शिवपुराण आदि का भी, वे निरन्तर अध्ययन एवं चिन्तन करती रहती थीं। श्री गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित कल्याण पत्रिका के विविध आध्यात्मिक लेखों को नियमित रूप से पढ़कर, उनकी विशद चर्चा व मनन द्वारा, वे जीवनपर्यन्त अध्ययनशील रहीं।
उनके स्वर्गारोहण के उपरान्त, उनकी दैनन्दिनी में सँजोये, सुन्दर भजन व साथ ही मोहक आँचलिक लोक-गीत आदि देखकर, मेरे अन्तर्मन में यह भाव उपजा कि क्यों नहीं इस विशिष्ट और अनमोल संग्रह में, कुछ प्रचलित आ एवं चालीसा जोड़कर इस संग्रह को और उपयोगी बनाया जाए। आशा करता हूँ, यह संग्रह मूलतः सभी के लिए एवं विशेषकर, उन मंडलियों के लिए ज्यादा उपयोगी होगा, जो ईश्वर वन्दना में निरत हैं।

ISBN10-9359640875