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Munshi Premchand Sahitya : Nirmala (मुंशी प्रेमचंद साहित्य : निर्मला)

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अद्भुत कथाशिल्पी प्रेमचंद की कृति ‘निर्मला’ दहेज प्रथा की पृष्ठभूमि में भारतीय नारी की विवशताओं का चित्रण करने वाला एक सशक्त उपन्यास है। यह उपन्यास नवम्बर, 1925 से नवम्बर, 1926 तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ, किन्तु यह इतना यथार्थवादी है कि 60 वर्षों के उपरांत भी समाज की कुरीतियों का आज भी उतना ही सटीक एवं मार्मिक चित्र प्रस्तुत करता है।
‘निर्मला’ एक ऐसी अबला की कहानी है जिसने अपने भावी जीवन के सपनों को अल्हड़ कल्पनाओं में संजोया किन्तु दुर्भाग्य से उन्हें साकार नहीं होने दिया। निर्मला की शादी से पहले उसके पिता की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु लड़के वालों को यह विश्वास दिला देती है कि अब उतना दहेज नहीं मिलेगा जितने की उन्हें अपेक्षा थी… आखिर निर्मला का विवाह एक अधेड़ अवस्था के विधुर से होता है।
इस उपन्यास की एक अनन्य विशेषता-करुणा प्रधान चित्रण में कथानक अन्य रसों से भी सराबोर है।

ISBN10-9356847150

Nirmala (निर्मला)
Munshi Premchand Sahitya : Nirmala (मुंशी प्रेमचंद साहित्य : निर्मला)
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Munshi Premchand Sahitya : Nirmala (मुंशी प्रेमचंद साहित्य : निर्मला)
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Munshi Premchand Sahitya : Nirmala (मुंशी प्रेमचंद साहित्य : निर्मला)

निर्मला मुंशी प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जो दहेज प्रथा और स्त्रियों के शोषण की समस्याओं को उजागर करता है। यह कहानी एक युवा लड़की निर्मला की है, जिसकी शादी उम्र में बहुत बड़े व्यक्ति से हो जाती है, और कैसे यह विवाह उसकी ज़िंदगी को बर्बाद कर देता है। उपन्यास में पारिवारिक विघटन, स्त्री की पीड़ा और सामाजिक मुद्दों का यथार्थ चित्रण किया गया है।

दहेज प्रथा: निर्मला का विवाह उसके पिता की आर्थिक स्थिति की वजह से एक वृद्ध व्यक्ति से हो जाता है, जो उसकी ज़िंदगी को दुख और संकटों से भर देता है।

स्त्री शोषण: यह उपन्यास भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले अन्याय और उनके अधिकारों के हनन को उजागर करता है।

पारिवारिक विघटन: उपन्यास में प्रेमचंद ने पारिवारिक संबंधों और उनके टूटने की मार्मिक व्याख्या की है, जो दहेज और गलतफहमियों के कारण उत्पन्न होते हैं।

About Author

मुंशी प्रेमचंद (1880–1936), जिनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखक माने जाते हैं। उन्हें हिंदी कथा साहित्य का जनक कहा जाता है। उनकी रचनाओं में समाज की समस्याएं, गरीबी, जाति भेदभाव और शोषण जैसे मुद्दे प्रमुखता से उभरते हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में गोदान, गबन और कफ़न शामिल हैं, जो ग्रामीण जीवन और सामाजिक अन्याय को उजागर करती हैं। उनकी लेखन शैली यथार्थवाद पर आधारित थी, और उनका साहित्य समाज में सुधार और मानवीय गरिमा के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करता है।

निर्मला उपन्यास का मुख्य विषय क्या है?

निर्मला उपन्यास का मुख्य विषय दहेज प्रथा और असमान उम्र के विवाह से होने वाली स्त्रियों की पीड़ा को दर्शाना है।

निर्मला के चरित्र का क्या महत्व है?

निर्मला एक सशक्त महिला का प्रतीक है, जो अपनी स्थिति से जूझते हुए समाज के अन्याय का सामना करती है।

मुंशी प्रेमचंद ने इस उपन्यास में कौन से सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला है?

उपन्यास में दहेज प्रथा, उम्र असमानता, स्त्रियों का शोषण, और पारिवारिक विघटन को प्रमुख रूप से दर्शाया गया है।

निर्मला की शादी से जुड़ी क्या समस्याएँ थीं?

निर्मला की शादी एक वृद्ध व्यक्ति से होने के कारण उसके जीवन में कई संघर्ष और दुख आते हैं, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो जाता है।

मुंशी प्रेमचंद ने निर्मला में स्त्री शोषण को कैसे चित्रित किया है?

प्रेमचंद ने निर्मला में स्त्रियों की असहाय स्थिति और सामाजिक बंधनों के कारण उनका शोषण बहुत संवेदनशीलता से दिखाया है।

उपन्यास में मंसाराम का क्या महत्व है?

मंसाराम, तोताराम का पुत्र है, जो निर्मला की स्थिति से प्रभावित होता है और कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निर्मला उपन्यास में प्रेमचंद का दृष्टिकोण क्या है?

प्रेमचंद ने उपन्यास में समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं, के प्रति सहानुभूति और सुधार की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया है।

Additional information

Weight 270 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.86 cm
Author

Munshi Premchand

ISBN

9789356847156

Pages

120

Format

Paperback

Language

#N/A, Assamese, Bengali, English, Gujarati, Hindi, Kannada, Malayalam, Marathi, Nepali, Oriya, Punjabi, Tamil, Telugu

Publisher

Diamond Toons

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ISBN 10

9356847150