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रूठी रानी’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें राजाओं की वीरता और देशभक्ति को कलम के आदर्श सिपाही प्रेमचंद ने जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। उपन्यास में राजाओं की पारस्परिक फूट और ईर्ष्या के ऐसे सजीव चित्र प्रस्तुत किये गये हैं कि पाठक दंग रह जाता है। ‘रूठी रानी’ में बहुविवाह के कुपरिणामों, राजदरबार के षड्यंत्रों और उनसे होने वाले शक्तिह्रास के साथ-साथ राजपूती सामन्ती व्यवस्था के अन्तर्गत स्त्री की हीन दशा के सूक्ष्म चित्र हैं।प्रस्तुत कृति में प्रेमचन्द ने देश की स्वतन्त्रता के प्रेमियों का आह्ववान करते हुए कहा है कि साहस एवं शौर्य के साथ एकता और संगठन भी आवश्यक है।
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
रूठी रानी में प्रेमचंद ने मानवीय भावनाओं, समाजिक बंधनों और प्रेम के विषय में गहरे विचार प्रस्तुत किए हैं।
मुंशी प्रेमचंद का साहित्य हिंदी कथा-साहित्य का एक मील का पत्थर है, जिसमें उन्होंने समाज, गरीबी, मानवीय रिश्तों, और सांस्कृतिक मूल्यों को यथार्थवादी ढंग से प्रस्तुत किया है।
हाँ, रूठी रानी हर उम्र के पाठकों के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसमें जीवन के अनुभवों और मानवीय मूल्यों का सजीव चित्रण है।
प्रेमचंद की कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं, और रूठी रानी भी उनके साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जो उनकी साहित्यिक गहराई को दर्शाती है।
प्रेमचंद की लेखनी में सरलता, यथार्थवाद, और मानवीय संवेदनाओं का ऐसा संगम है जो पाठकों को गहरे तक प्रभावित करता है और समाज के विभिन्न पहलुओं को बखूबी उजागर करता है।
Weight | 180 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 0.8 cm |
Author | Prem Chand |
ISBN | 8171824587 |
Pages | 168 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171824587 |
मुंशी प्रेमचंद साहित्य: रूठी रानी हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। यह कथा न केवल प्रेमचंद की लेखनी का अद्वितीय उदाहरण है बल्कि मानवीय भावनाओं और समाज की सच्चाई को बेहद सजीवता के साथ चित्रित करती है। रूठी रानी में प्रेमचंद ने सामाजिक बंधनों, प्रेम, और रिश्तों की जटिलताओं को बड़ी ही संजीदगी से प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाएं सरल होते हुए भी गहरे अर्थ लिए होती हैं, जो पाठकों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं। यह कहानी प्रेमचंद के समृद्ध साहित्य का एक उत्कृष्ट भाग है, जो आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है। ISBN10:8171824587
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