Na Gopi, Na Radha (न गोपी, न राधा)

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‘न गोपी, न राधा’ डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर का अप्रतिम उपन्यास है। मीरा न गोपी थी, न राधा । वह मीरा ही थी। अपने आप में मीरा होने का जो अर्थ-सौभाग्य है, वह न गोपियों को मिला था और न राधा को। वह अर्थ-सौभाग्य क्या था, यही इस उपन्यास का मर्म है।
इसी मर्म की जिज्ञासा ने डॉ. भटनागर को मीरा पर तीन उपन्यास लिखने की प्रेरणा दी- ‘पयस्विनी मीरा’, ‘श्यामप्रिया’ और ‘प्रेमदीवानी’। अचरज यह है कि ये सभी उपन्यास तो इन सबसे मूलतः भिन्न है। इसमें मीरा का चरित्र एक वीर क्षत्राणी का है और भक्तिन समर्पिता का। विद्रोह में समर्पण की सादगी यहाँ द्रष्टव्य है।
पहली बार मीरा का द्वारिका पड़ाव जीवंत हुआ है। पहली बार मीरा का प्रस्तुतिकरण उनके पदों, लोक-कथाओं, बहियों आदि के माध्यम से सामने आया है। पहली बार मीरा का मेवाड़ी, मारवाड़ी, व्रज, गुजराती और राजस्थानी भाषिक बोली संस्कार मुखर हुआ है- नाहिं, नाहिं, नाँय, कछु, कछु आदि को अपने में समेटे हुए। पहली बार मीरा को मीरा होने का यहाँ मौलिक अधिकार है।

About the Author

नामः राजेन्द्र मोहन भटनागर
जन्म: 2 मई, 1938, अंबाला कैंट (हरियाणा)।
रचना-संसार : अनेक विधाओं को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया है- ‘नीले घोड़े का सवार’, ‘दिल्ली चलो’, ‘सरकार’, ‘गौरांग’, ‘कुली बैरिस्टर’, ‘विवेकानंद’, ‘सूरश्याम’, ‘युगपुरुष अंबेडकर’, ‘योगी अरविंद’, ‘माटी की पुकार’, ‘सनातन पुरुष’, ‘अंतर्यात्रा’, ‘न गोपी, राधा’, ‘परछाइयाँ’, ‘कायदे आजम’, ‘अंतिम सत्याग्रही’ (उपन्यास); ‘संध्या का भोर’, ‘सेनानी’, ‘रक्तध्वज’, ‘महाप्रयाण’ (नाटक); ‘अगस्त क्रांति’, ‘आज की ताजा खबर’, ‘गौरैया’, ‘माँग का सिंदूर’ (कहानी संग्रह ) ।
हिंदी साहित्य के ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य के अकेले ऐसे उपन्यासकार – नाटककार हैं, जिन्होंने एक ही ऐतिहासिक नायक पर अनेक उपन्यास-नाटक दिए हैं और वह भी कथाना, चरित्र, भाषाशैली आदि एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न तथा जीवंत। उनमें से अनेक पुरस्कृत भी हुए हैं, यथा राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, महाराणा कुँवर पुरस्कार, नाहर साहित्य सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, घनश्यामदास सराफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार आदि ।
कुछ रचनाओं का अंग्रेजी, फ्रेंच, मलयालम, सिंधी, मराठी, गुजराती, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद |
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‘न गोपी, न राधा’ डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर का अप्रतिम उपन्यास है। मीरा न गोपी थी, न राधा । वह मीरा ही थी। अपने आप में मीरा होने का जो अर्थ-सौभाग्य है, वह न गोपियों को मिला था और न राधा को। वह अर्थ-सौभाग्य क्या था, यही इस उपन्यास का मर्म है।
इसी मर्म की जिज्ञासा ने डॉ. भटनागर को मीरा पर तीन उपन्यास लिखने की प्रेरणा दी- ‘पयस्विनी मीरा’, ‘श्यामप्रिया’ और ‘प्रेमदीवानी’। अचरज यह है कि ये सभी उपन्यास तो इन सबसे मूलतः भिन्न है। इसमें मीरा का चरित्र एक वीर क्षत्राणी का है और भक्तिन समर्पिता का। विद्रोह में समर्पण की सादगी यहाँ द्रष्टव्य है।
पहली बार मीरा का द्वारिका पड़ाव जीवंत हुआ है। पहली बार मीरा का प्रस्तुतिकरण उनके पदों, लोक-कथाओं, बहियों आदि के माध्यम से सामने आया है। पहली बार मीरा का मेवाड़ी, मारवाड़ी, व्रज, गुजराती और राजस्थानी भाषिक बोली संस्कार मुखर हुआ है- नाहिं, नाहिं, नाँय, कछु, कछु आदि को अपने में समेटे हुए। पहली बार मीरा को मीरा होने का यहाँ मौलिक अधिकार है।

About the Author

नामः राजेन्द्र मोहन भटनागर
जन्म: 2 मई, 1938, अंबाला कैंट (हरियाणा)।
रचना-संसार : अनेक विधाओं को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया है- ‘नीले घोड़े का सवार’, ‘दिल्ली चलो’, ‘सरकार’, ‘गौरांग’, ‘कुली बैरिस्टर’, ‘विवेकानंद’, ‘सूरश्याम’, ‘युगपुरुष अंबेडकर’, ‘योगी अरविंद’, ‘माटी की पुकार’, ‘सनातन पुरुष’, ‘अंतर्यात्रा’, ‘न गोपी, राधा’, ‘परछाइयाँ’, ‘कायदे आजम’, ‘अंतिम सत्याग्रही’ (उपन्यास); ‘संध्या का भोर’, ‘सेनानी’, ‘रक्तध्वज’, ‘महाप्रयाण’ (नाटक); ‘अगस्त क्रांति’, ‘आज की ताजा खबर’, ‘गौरैया’, ‘माँग का सिंदूर’ (कहानी संग्रह ) ।
हिंदी साहित्य के ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य के अकेले ऐसे उपन्यासकार – नाटककार हैं, जिन्होंने एक ही ऐतिहासिक नायक पर अनेक उपन्यास-नाटक दिए हैं और वह भी कथाना, चरित्र, भाषाशैली आदि एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न तथा जीवंत। उनमें से अनेक पुरस्कृत भी हुए हैं, यथा राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, महाराणा कुँवर पुरस्कार, नाहर साहित्य सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, घनश्यामदास सराफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार आदि ।
कुछ रचनाओं का अंग्रेजी, फ्रेंच, मलयालम, सिंधी, मराठी, गुजराती, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद |

Additional information

Author

Rajendra Mohan Bhatnagar

ISBN

9789359646602

Pages

192

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9359646601

Flipkart

https://www.flipkart.com/na-gopi-radha-hindi/p/itma0f8a3d9faa33?pid=9789359646602

ISBN 10

9359646601