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कर्म-संन्यास विश्राम की अवस्था है, आलस्य की नहीं। कर्मयोग और कर्म-संन्यास दोनों के लिए शक्ति की जरूरत है। दोनों के लिए। आलसी दोनों नहीं हो सकता। आलसी कर्मयोगी तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि कर्म करने की ऊर्जा नहीं है। आलसी कर्मत्यागी भी नहीं हो सकता, क्योंकि कर्म के त्याग के लिए भी विराट ऊर्जा की जरूरत है। जितनी कर्म को करने के लिए जरूरत है, उतनी ही कर्म को छोड़ने के लिए जरूरत है। हीरे को पकड़ने के लिए मुट्ठी में जितनी ताकत चाहिए, हीरे को छोड़ने के लिए और भी ज्यादा ताकत चाहिए। देखें छोड़ कर, तो पता चलेगा। एक रुपए को हाथ में पकड़ें। पकड़े हुए खड़े रहें सड़क पर, और फिर छोड़ें। पता चलेगा कि पकड़ने में कम ताकत लग रही थी, छोड़ने में ज्यादा ताकत लगरही है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
ओशो के विचारों का उद्देश्य यह था कि हम अपने जीवन को समझें, अपने अंदर के सत्य को पहचानें, और जीवन के असली उद्देश्य की ओर कदम बढ़ाएं। ओशो ने यह भी बताया कि मृत्यु एक अंत नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक निरंतर भाग है, और आत्मा अमर है।
हाँ, ओशो की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। आज के तनावपूर्ण और भौतिकवादी समाज में आत्मज्ञान और ध्यान की आवश्यकता अधिक महसूस होती है। ओशो की पुस्तक हमें यह सिखाती है कि हम जीवन को एक शांति और संतुलन के साथ जी सकते हैं।
इस पुस्तक का संदेश जीवन में आत्मज्ञान और ध्यान के माध्यम से लागू किया जा सकता है। जब हम अपने भीतर की अमर आत्मा को पहचानते हैं और जीवन को एक क्षणिक अनुभव के रूप में देखते हैं, तो हम मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त कर सकते हैं।
इस पुस्तक का अध्ययन करने से आपको जीवन की अस्थिरता, मृत्यु के रहस्यों और आत्मज्ञान के विषय में गहरी समझ प्राप्त होगी। यह पुस्तक आपको मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण देने में मदद करेगी।
इस पुस्तक के माध्यम से आप अपने असली आत्म को पहचानने की प्रक्रिया में आगे बढ़ सकते हैं। ओशो ने ध्यान और आत्मज्ञान की प्रक्रिया को सरल शब्दों में बताया है, जिससे आप अपनी जीवन यात्रा में आत्म-समझ को गहरा कर सकते हैं।
Weight | 410 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.83 cm |
Author | Osho |
ISBN | 9798189182914 |
Pages | 272 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8189182919 |
जो भी जन्मता है, वह मरता है। जो भी उत्पन्न होता है, वह विनष्ट होता है। जो भी निर्मित होगा, वह बिखरेगा, समाप्त होगा। हमारे सुख-दुख, हमारी इस भ्रांति से जन्मते हैं कि जो भी मिला है वह रहेगा। प्रियजन आकर मिलता है, तो सुख मिलता है, लेकिन जो आकर मिलेगा, वह जाएगा। जहां मिलन है वहां विरह है मिलने में विरह को देख लें तो उसके मिलने का सुख विलीन हो जाता है और उसके विरह का दुख भी विलीन हो जाता है। जो जन्म में मृत्यु को देख ले उससे जन्म की सुखी विदा हो जाती है, उसकी मृत्यु का दुख हो जाता है और जहां सुख और दुख विदा हो जाते हैं वहां जो शेष रह जाता है, उसका नाम ही आनंद है।
ISBN: 8189182919
ISBN10-8189182919
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